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17 सितंबर दोपहर  3:30 बजे 2,800 लोग घायल औऱ कई लोगों की मौत हो गई, इस घटना को लेकर तमाम सवाल तो खड़े हो ही रहे हैं, CNN ने अपनी रिपोर्ट में सीधे कहा है कि उसे पता चला है कि ये विस्फोट इजरायल की खुफिया सेवा मोसाद और इजरायली सेना के बीच संयुक्त अभियान का नतीजा थे. लिंक पर क्लिक करें ⬇️

https://x.com/BandhuNews_in/status/1836328949288161435?s=09

पेजर विस्फोट या इस प्रकार के ब्लासट से जुड़े कई खतरे हैं, सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि यह एक छोटे से डिवाइस के अंदर छिपा होता है, इसलिए इसे पहचान पाना लगभग नामुमकिन है, दूसरा खतरा यह है कि इसे अनजाने में एक्टिवेट किया जा सकता है, अगर किसी को यह पता न चले कि पेजर में विस्फोटक लगा है, तो वह इसे अनजाने में एक्टिवेट कर सकता है, जिससे एक विस्फोट हो सकता है, मेटल डिटेक्टर में आसानी से पकड़ में नहीं आता, लेबनान में इन हमलों की खबरों के बाद इस तरह के हमलों की आशंका बढ़ गई है,

इजराइल की साइबर क्षमता सबको मालूम है. ये कहा जाता है कि दुनिया में साइबर मामले में इजरायल की क्षमता सबसे बेहतरीन है. ईरान पिछले कुछ समय में हुए कुछ हमलों में दूर से बैठकर जिस तरह टारगेट की गई, उसमें साइबर का भरपूर इस्तेमाल हुआ है, ये शंका जाहिर की जाती रही है कि ये हमले इजरायल ने कराए थे.

सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में सीधे कहा है कि उसे पता चला है कि ये विस्फोट इजरायल की खुफिया सेवा मोसाद और इजरायली सेना के बीच संयुक्त अभियान का नतीजा थे. इजरायली सेना ने कहा है कि वह विस्फोटों पर टिप्पणी नहीं करेगी. लेबनान और हिजबुल्लाह दोनों ने हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है, ईरान ने भी “इजरायली आतंकवाद” के नाम पर आरोप लगाया है.

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