वियतनाम में जब इस बदमाश की गिरफ्तारी हुई, उस समय यह शहर से दूर एक गांव में अपना नाम और पहचान बदलकर रह रहा था. वहां से प्रत्यर्पण के बाद इसे मुंबई लाया गया और कुछ दिन बाद ही इसे अल्मोड़ा जेल शिफ्ट कर दिया गया है. दावा किया जा रहा है कि तब से यह जेल में साधना कर रहा है.
उत्तराखंड के अल्मोड़ा की जेल में 14 साल से बंद कुख्यात बदमाश प्रेम प्रकाश पांडेय उर्फ पीपी अब महात्मा बन गया है. इसी साल मार्च में उसने नेपाल के प्रसिद्ध नाथ सम्प्रदायाचार्य दंडीनाथ जी महाराज से गुरु दीक्षा ली थी. वहीं अब इस बदमाश ने श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के थानापति राजेंद्र गिरि जी महाराज से दीक्षा ली है. इसी के साथ उसे जूना अखाड़े के करीब आधा दर्जन मंदिरों का महंत भी घोषित किया गया है. बड़ा सवाल यह कि इतना बड़ा बदमाश महात्मा कैसे बन गया? लेकिन इससे पहले यह जानना जरूरी है कि ये प्रेम प्रकाश पांडेय उर्फ पीपी उर्फ प्रकाशनाथ उर्फ प्रकाशानंद गिरी है कौन है और इसके महात्मा बनने पर इतना बवाल क्यों है?
कहानी की शुरुआत 1992 की घटना से करते हैं. दरअसल नैनीताल कोतवाली पुलिस ने उस समय शहर में एक मोस्ट वांटेड अपराधी का पोस्टर चश्पा कराया था. नैनीताल में इस अपराधी के नाम शराब तस्करी और एक व्यक्ति पर जानलेवा हमला कर फरार हो जाने का आरोप था. संयोग से उस समय मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अफसर छुट्टियां मनाने नैनीताल आए हुए थे.
उन्होंने इस पोस्टर को देखा और कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाल से पूछा कि ये पोस्टर जो दीवारों पर लगाए गए हैं, क्या उसमें दिख रहे व्यक्ति को आप जानते भी हैं? इस सवाल पर कोतवाल चौंक गए, उन्होंने सवाल पूछने वाले व्यक्ति से उसका परिचय पूछा और इसके बाद उस व्यक्ति ने जो खुलासे किए, उसे सुनकर कोतवाल के पैरों तले जमीन खिसक गई थी.
मुंबई ब्लास्ट के बाद छोटा राजन और दाउद इब्राहिम के बीच टकराव हुआ और दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए थे. इसके बाद पीपी छोटा राजन की गैंग में शामिल हो गया और बहुत कम समय में उसने गैंग में सेकेंड ओहदेदार का रुतबा हासिल कर लिया. हालांकि कुछ समय बाद ही उसकी गिरफ्तारी हो गई, लेकिन वह आर्थर जेल से फरार होकर अपनी गर्लफ़्रेंड के साथ वियतनाम पहुंच गया. बाद में उसकी गिरफ्तारी भी वियतनाम से ही हुई. इसके बाद कुछ समय तक वह मुंबई की जेल में रहा और फिर उसे अल्मोड़ा लाया गया.
बदमाश प्रकाश पांडे मूल रूप से अल्मोड़ा के खनौइया गांव का रहने वाला है, हालांकि बाद में वह परिवार के साथ रानीखेत आ गया. बचपन में ही उसकी मां का देहांत हो गया तो उसके फौजी पिता लक्ष्मी दत्त पांडे ने दूसरी शादी कर ली थी.इसके बाद प्रकाश पांडेय की सौतेली मां उसे प्रताड़ित करने लगी. इनके बीच के झगड़े इतने बढ़ गए कि प्रकाश ने गांव छोड़ दिया और कुछ दिन अपने मामा के घर रहा.
मां की मौत और सौतेली मां के व्यवहार के चलते बचपन में ही उसके तेवर विद्रोही हो गए थे. एक दिन तो वह अपने स्कूल में अपने से दो क्लास सीनियर छात्र को क्लासरूम में ही बुरी तरह पिटाई कर दी. यह उसका पहला अपराध था और इसी अपराध के बाद उसका बन बढ़ गया.
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