किसी को सांप ने काटा था तो कोई था घायल…उफनती नदी को पार कर मदद करने पहुंचीं सबीना के जज्बे को सलाम है पढ़िए रिपोर्ट में

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सबीना ने अगले पांच दिनों में इसी जिप लाइन के सहारे करीब दस से ज्यादा बार नदी को पार किया. वह नदी के बीच इस टापू पर सुबह 11 बजे पहुंचती थी और शाम को पांच बजे वह वापस आती. सबीना वहां रहते हुए सभी लोगों का पूरे-पूरे दिन इलाज करती थी.

नई दिल्ली:

किसी की जान बचाने का जज्बा आपको कई बार अपनी उन हदों को पार करने के लिए प्रेरित करता है, जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी ना हो. वायनाड में बीते दिनों हुए लैंडस्लाइड में प्रभावितों की जान बचाने वाली सबीना (नर्स) के साथ भी ऐसा हुआ है. सबीना के लिए 30 जुलाई का दिन किसी दूसरे दिन की तरह ही था. वायनाड में लैंडस्लाइड से मची तबाही की खबर धीरे-धीरे कर अब फैलने लगी थी. सबीना के पास भी 30 जुलाई की सुबह 11 बजे एक फोन आया और उसे बताया गया कि उसे तुरंत वायनाड के प्रभावित इलाके के लिए निकलना होगा. सबीना बगैर समय गंवाएं वायनाड पहुंची. 

लैंडस्लाइड की वजह से मुंडाक्कई और चूरालमलाई के बीच बना एक पुल ढह गया था. और इस वजह से करीब एक दर्जन लोग एक नदी के बीच में ही फंस गए हैं. वहां तक पहुंचना बिल्कुल असंभव सा था. सभी को ये पता था कि जो लोग वहां फंसे हैं उन्हें मेडिकल हेल्प की भी जरूरत होगी. पर हर कोई पानी के तेज बहाव और बढ़ते गाद को देखकर ये मान बैठा था कि जो लोग उस तरफ फंसे हैं उन्हें नहीं बचाया जा सकता. लेकिन सबीना कहां हार मानने वाली थीं. 

सबीना ने उस दिन जो किया वो हौसला बढ़ाने के साथ-साथ कइयों को प्रेरणा देने वाला है. सबीना ने उस इलाके में रहते हुए उफनती नदी के बीच से जिप लाइन (रस्सी के) सहारे ना सिर्फ पहले फंसे लोगों तक पहुंची बल्कि अगले पांच दिनों में सभी का वहां मेडिकल फर्स्ट एड भी दिया. सबीना को उनकी इस बहादुरी के लिए 15 अगस्त को कल्पना चावला अवार्ड से सम्मानित किया गया है. साथ ही उन्हें प्रोत्साहन राशि के तौर पर 5 लाख रुपये का इनाम भी दिया गया है. 

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