छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के ताड़मेटला गांव में सुरक्षाबलों के साथ कथित मुठभेड़ में दो आदिवासियों के मारे जाने का मुद्दा गरमाने लगा है.
एक दर्जन से भी अधिक गांवों के सैकड़ों आदिवासियों ने इस घटना की जांच और घटना के ज़िम्मेदार पुलिसकर्मियों की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर ताड़मेटला में धरना शुरु किया है.
पुलिस ने पांच सितंबर को कथित मुठभेड़ में दो संदिग्ध माओवादियों, सोढ़ी कोसा और रवा देवा के मारे जाने का दावा किया था.
लेकिन मृतक के परिजनों और दूसरे ग्रामीणों का कहना है कि दोनों आदिवासियों युवकों का माओवादी संगठन से कोई लेना-देना नहीं था. वे गांव में ही रह कर खेती-बाड़ी करते थे और किराने की दुकान चलाते थे.
परिजनों का कहना है कि सुरक्षाबल के जवानों ने उन्हें थाने के पास से पकड़ा और बाद में उन्हें हिरासत में गोली मार दी.
परिजनों का आरोप है कि परिवार वालों को शवों का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया गया. पुलिस के जवानों ने ही आठ सितंबर को गांव में शव ला कर, उन्हें जला दिया.
सोमवार को सर्व आदिवासी समाज ने फिर से मामले की न्यायिक जाँच की माँग दुहराई है.
शुक्रवार को बस्तर के हर ज़िला मुख्यालय में आदिवासियों ने धरना प्रदर्शन किया.
इस बीच राज्य के उद्योग मंत्री और इलाके के विधायक कवासी लखमा ने पत्रकारों से कहा कि पुलिस इसे माओवादियों का मुठभेड़ बता रही है और गांव वालों का कहना है कि मारे गए ग्रामीण निर्दोष हैं.
कवासी लखमा ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री ने तत्काल मामले की दंडाधिकारी जांच की घोषणा की है.