Jyotiba Phule Jayanti 2023 जयंती पर विशेष,
देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने में अहम किरदार निभाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। उनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविंदराव था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी।
ज्योतिबा बहुत बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया। वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। 1840 में ज्योतिबा का विवाह सावित्रीबाई से हुआ था। महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था। जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी जिसके प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे। उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी।
स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत की पहला विद्यालय खोला। लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिबा को दिया जाता है।
इन प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो आजादी की लड़ाई में उनके संबल बने। उन्होंने किसानों और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किया था।
ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई। इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था। उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी.
महान समाजसुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उनके अनमोल वचन पढ़ें।
1. शिक्षा, स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है.
2. स्वार्थ अलग अलग रुप धारण करता है, कभी जाति का तो कभी धर्म का.
3 .ईश्वर एक है और वो ही सभी लोगों का कर्ताधर्ता है.
4. जातिगत और लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करना महापाप है।
5. अच्छे काम करने के लिए कभी भी गलत उपायों का सहारा नही लेना चाहिए.
6. ब्राह्मणों ने दलितों के साथ जो किया वो कोई कोई मामूली अन्याय नही है, उसके लिए उन्हें ईश्वर को जवाब देना होगा.
7. आपके संघर्ष में शामिल होने वालों से उसकी जाति मत पूछिए.
8. मंदिरों में स्थित देवगण ब्राह्मण पुरोहितों का ढकोसला है.
9. शिक्षा, स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है.
10. स्वार्थ अलग अलग रुप धारण करता है, कभी जाति का तो कभी धर्म का.