Gujarat Election: सूरत के व्यापारियों पर अपनी पकड़ के कारण पीवीएस शर्मा भाजपा के लिए काफी उपयोगी माने जाते थे। अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे भाजपा से इस्तीफ़ा देकर अरविंद केजरीवाल के साथ जा सकते हैं।…
भाजपा के गढ़ सूरत में पार्टी को बड़ा झटका लगा है। सूरत में पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष पीवीएस शर्मा ने मंगलवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को लिखे पत्र में उन्होंने पार्टी में अपनी उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाया है। कुछ ही दिनों पहले उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच का भी सामना करना पड़ा था। आयकर विभाग में पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर रहे पीवीएस शर्मा ने नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में अपना भाग्य आजमाया था।
सूरत के व्यापारियों पर अपनी पकड़ के कारण वे भाजपा के लिए काफी उपयोगी माने जाते थे। अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे भाजपा से इस्तीफ़ा देकर अरविंद केजरीवाल के साथ जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो केजरीवाल भाजपा के गढ़ में और ज्यादा मजबूत हो सकते हैं और इससे सूरत की 16 विधानसभा सीटों पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
नोटबंदी में खराब हुए संबंध
दरअसल, पीवीएस शर्मा के भाजपा से संबंध नोटबंदी के दौरान खराब हो गए थे। चूंकि, वे व्यापारी नेता के रूप में देखे जाते हैं, लिहाजा हमेशा व्यापारियों से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं। नोटबंदी के दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि इसके (नोटबंदी) के नाम पर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। उनके इस ट्वीट को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर निशाना साधने वाला माना गया था। इस ट्वीट के बाद पार्टी की तरफ से उन्हें नोटिस भी जारी किया गया था। बाद में उन्हें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के जांच से भी होकर गुजरना पड़ा था।
पार्टी में गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के करीबी माने जाते थे, लेकिन अपने इस्तीफे में उन्होंने पाटिल के कार्यकाल के दौरान ही अपनी उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जांच के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं को उनसे कोई संपर्क न रखने के लिए भी कहा गया था।
भाजपा के लिए नुकसान क्यों
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आक्रामक चुनाव प्रचार किया था। उन्हें पाटीदार आंदोलन और दलित आंदोलन का भी साथ मिला था। लिहाजा, भाजपा के गढ़ गुजरात में पार्टी पर हार की आशंका मंडराने लगी थी। लेकिन अंतिम समय में नरेंद्र मोदी ने तीन दिनों तक आक्रामक चुनाव प्रचार किया। इस दौरान सूरत की 16 में से 15 सीटों पर भाजपा को सफलता मिल गई थी। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यदि मोदी के कारण भाजपा को सूरत में इतनी शानदार सफलता न मिलती तो भाजपा यह चुनाव हार जाती।
अभी भी सूरत में भाजपा की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने इसी क्षेत्र में जीत हासिल कर भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। प्रवासी श्रमिकों में केजरीवाल की मुफ्त बिजली-पानी की घोषणा उनके लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यदि केजरीवाल को शर्मा का साथ भी मिल जाता है तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ जायेंगी।