रविवार को आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने राजकोट के कोठारिया इलाक़े से रोड शो की शुरुआत की थी.
हंसा बेन एक छोटे ट्रक में क़रीब 10 महिलाओं के साथ सवार हैं. उनसे पूछा कि कौन आया है? उनका जवाब था- केजरीवाल आया है. केजरीवाल कौन हैं? इस सवाल का जवाब हंसा बेन समेत कोई भी महिला नहीं दे पाई.
ट्रक में सवार महिलाओं से पूछा कि गुजरात का मुख्यमंत्री कौन है? सबने एक स्वर में कहा- नरेंद्र मोदी. अरविंद केजरीवाल के रोड शो में भी गुजराती में जो नारा लग रहा था, उसमें कहा जा रहा था कि एक मौक़ा केजरीवाल को दीजिए.
केजरीवाल किसी नायक की तरह एक खुली कार में हाथ हिलाते हुए आगे बढ़ रहे थे. सड़क पर केजरीवाल के समर्थक उनके हाथ छूने को बेक़रार थे.
यह रोड शो भारत की लोकप्रिय राजनीति का मिसाल था. कारों का काफ़िला, उन पर केजरीवाल की बड़ी-बड़ी तस्वीरें, पार्टी के लंबे-चौड़े झंडे, बेतहाशा बजते ढोल-नगाड़ों के शोर और इन सबके बीच से खुली कार में खड़े होकर हाथ हिलाते केजरीवाल.
भारत की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव में इस तरह के रोड शो निकालती हैं. रोड शो में भीड़ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है क्योंकि पूरी सड़क जाम हो जाती है और ऐसा लगता है कि जाम में खड़े लोग भी रोड शो का हिस्सा हैं.
हालांकि जिनकी गर्दनों में आम आदमी पार्टी के झंडे लिपटे थे, उससे भीड़ का अंदाज़ा लगाएं तो क़रीब एक से डेढ़ हज़ार लोग केजरीवाल के आगे और पीछे थे.
ये वही राजकोट है, जहाँ से पहली बार नरेंद्र मोदी ने 2002 में विधानसभा चुनाव जीता था. इसके बाद मोदी कभी चुनाव हारे नहीं. वो चाहे 2012 तक गुजरात विधानसभा चुनाव हो या 2014 के बाद से लोकसभा चुनाव.
गुजरात की राजनीति में पिछले चार दशकों से बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को टक्कर देते रहे हैं, लेकिन पहली बार यहाँ के चुनाव में तीसरे दल के रूप में आम आदमी पार्टी की भी बात हो रही है.