आम आदमी पार्टी ने ईसुदान गढवी को सीएम कैंडिडेट बनाया है
उन्होंने जन सरोकार की पत्रकारिता से अपनी एक ख़ास छवि बनाई है
ईसुदान लोकप्रिय हैं, लेकिन क्या आम आदमी पार्टी गुजरात में जीतेगी
आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में ईसुदान गढवी को पार्टी का चेहरा बनाया है.
अरविंद केजरीवाल ने 29 अक्टूबर को सूरत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और लोगों से पूछा कि वे किसे मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.
पार्टी अध्यक्ष गोपाल इटालिया, महासचिव मनोज सोरथिया जैसे नाम गुजरात में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने की दौड़ में थे. हालांकि, सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों में से ज़्यादातर ने ईसुदान को चुना.
गुजरात के एक टीवी चैनल के पत्रकार ईसुदान 14 जून 2021 को औपचारिक तौर पर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे.
क्षेत्रीय भाषा के टीवी न्यूज़ चैनल में प्राइम टाइम डिबेट ‘महामंथन’ में ईसुदान गढवी अधिकारियों से जनता के सरोकार से जुड़े मुद्दों पर सवाल करते थे. इस तरह के सवालों से उन्होंने जनता के मन में एक ख़ास छवि बनाई. वो लोगों का मन पढ़ लेते थे और उसी हिसाब से सवाल करते थे
राजनीति में शामिल एक नेता के रूप में उन्होंने जनता के मन में स्वीकृति भी हासिल कर ली है. हालांकि जामखंभलिया के पिपलिया गांव के एक किसान के बेटे से शुरुआत कर ईसुदान गढवी का मुख्यमंत्री के उम्मीदवार तक के सफ़र के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे.
ईसुदान गढवी जैसे पत्रकार के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की ख़बर ब्रेकिंग न्यूज़ जैसी थी.
उस वक्त पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जब अहमदाबाद आए तो उन्होंने भी एयरपोर्ट पर ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ देते हुए कहा, ”हाल ही में किसी ने मेरे पास आकर कहा कि ईसुदान गुजरात के केजरीवाल हैं.”
केजरीवाल राजनीति में एक परिघटना के रूप में आए हैं, इसलिए यह स्वाभाविक है कि विभिन्न राज्यों में नेताओं की रातोंरात सफलता की चर्चा हो.
जामनगर में कॉलेज की पढ़ाई के बाद ईसुदान ने पत्रकारिता की पढ़ाई करने का फ़ैसला किया. 2003 में कॉलेज के दौरान की एक घटना भी महत्वपूर्ण है. ईसुदान जब कॉलेज में पढ़ रहे थे तो वहां कुछ पत्रकार आए.
पत्रकारों ने कॉलेज के लोगों से मुलाकात की और चर्चा की. ईसुदान ने सोचा कि यह अच्छा है कि एक पत्रकार अच्छे सवाल पूछ सकता है.
इसलिए उन्होंने उस समय पत्रकार बनने का फ़ैसला किया और गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद में प्रवेश ले लिया. कहा जाता है कि गुजरात विद्यापीठ में आज भी छात्रों को पढ़ाने के बजाय उन्हें गढ़ने में मदद की जाती है.
कॉलेज का माहौल अलग होता है, और यह अक्सर छात्रों के लिए एक नई दुनिया खोल देता है. विद्यापीठ में विभिन्न विभागों में सीआर (छात्र प्रतिनिधि) चुने जाने के बाद, उनमें से अधिकतर ने मिलकर ईसुदान से कहा कि ‘आपको जीएस यानी जनरल सेक्रेट्री होना चाहिए.’
सहपाठियों का कहना था कि छात्रों की छोटी-बड़ी समस्याओं को लेकर उन्हें विश्वविद्यालय के प्रबंधन के पास जाकर ज्ञापन देना पड़ता है, लेकिन अब छात्रों के प्रतिनिधि के रूप में आधिकारिक तौर पर मुद्दों को उठाया जा सकता है.
जमखंभालिया तालुक के पिपलिया गांव में 10 जनवरी 1982 को जन्मे, एक किसान के बेटे ईसुदान आख़िरकार एक पत्रकार बन गए.
पत्रकार बनने के बाद वे अपने परिवार से दूर एक शहर में रहने आ गए. इसी बीच 2014 में उनके पिता खेराजभाई का निधन हो गया. उनके पिता ने कहा था कि ‘मुश्किलें भी आएं तो भी पत्रकारिता नहीं छोड़ना.’
शायद पिता की इच्छा से ही उनकी पत्रकारिता चलती रही. ईटीवी तब गुजरात का पहला टीवी चैनल था जो समाचार प्रसारित करता था.
वो वापी में रहकर दक्षिण गुजरात की ख़बरें दिया करते थे. इस बीच जंगलों में चल रहे भ्रष्टाचार समेत कई खोजी रिपोर्ट ईसुदान ने की.
हालांकि राजनीति की तरह पत्रकारिता में भी धैर्य की ज़रूरत होती है.
एक संवाददाता के रूप में ईटीवी में शामिल होने के बाद, ईसुदान 2015 में अहमदाबाद के ब्यूरो चीफ़ बने. उस दौरान चैनल का नाम बदलकर न्यूज़ -18 कर दिया गया.
2016 में वीटीवी जैसे प्रमुख चैनल में संपादक के रूप में शामिल होने के बाद उनके करियर ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया.
‘महामंथन’ डिबेट शो की लोकप्रियता के साथ ईसुदान की लोकप्रियता भी बढ़ती गई.