कर्नाटक के बेंगलुरु शहर ने जितनी तेज़ी से टेक्नोलॉजी और सॉफ़्टवेयर के एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में अपना नाम बनाया है, उतनी ही तेज़ी से अब नशा करने वालों की बढ़ती संख्या के लिए भी बदनाम भी होता जा रहा है.
10 साल पहले, ड्रग्स के बारे में किये गए एक सर्वे में पता चला था कि बेंगलुरु के कॉलेजों और स्कूलों में 25 प्रतिशत स्टूडेंट्स किसी न किसी तरह के ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे थे और इस संख्या में अब वृद्धि होती जा रही है.
2015-16 के नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार, 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के 22.25 प्रतिशत लोग शराब, तंबाकू और अन्य अवैध ड्रग्स में से किसी न किसी का इस्तेमाल करते थे. विशेषज्ञों का कहना है कि यह संख्या इससे बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि इस सर्वे में केवल उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया था जो ड्रग्स से ज़्यादा प्रभावित थे.
जनसंख्या और औद्योगिक विस्तार से बेंगलुरु शहर भी बड़ा होता गया है. यहां देश-विदेश से लाखों लोग काम करने आ रहे हैं. अकेलेपन और शहरी जीवन की जटिलताओं ने नई-नई मानसिक समस्याएं पैदा की हैं. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कॉस्मोपोलिटिन शहर की आज़ाद ज़िंदगी भी युवाओं को शराब और ड्रग्स की ओर ले जाती है.
पुलिस के मुताबिक़, कर्नाटक में पिछले पांच सालों में कोकीन का इस्तेमाल दोगुने से भी ज़्यादा बढ़ा है, जबकि बेंगलुरु एक ‘नया ड्रग्स हब’ बन गया है.
पुलिस के मुताबिक़ 2015-16 में यहां 500 किलो ड्रग्स ज़ब्त किया गया था, जिनमें हेरोइन, अफीम, गांजा, हशीश, मॉर्फिन और एफेड्रिन शामिल थी. अब ज़ब्त की गई ड्रग्स की मात्रा बढ़कर 2000 किलो से भी ज़्यादा हो गई है.
केवल बेंगलुरु में पुलिस ने 2021 में ड्रग्स के उपयोग या बिक्री के मामले में 8,505 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया था और पांच हज़ार से अधिक गिरफ्तारियां कीं थीं
बेंगलुरु के ‘स्त्री केंद्र’ रिहैब सेंटर की प्रमुख अमृता राज ने बीबीसी को बताया, ‘कई अध्ययनों से पता चला है कि ड्रग्स लेने वालों में 100 में से 40 लड़कियां हैं और उनमें से 10 प्रतिशत से भी कम इसका इलाज कराती हैं. ज़्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि इस तरह की लत से छुटकारा पाने के लिए इलाज भी होता है.”
अमृता का कहना है कि ड्रग्स की लत के इलाज के बारे में लोगों को शिक्षित करने की ज़रूरत है और समाज को भी ऐसे कार्यक्रमों का समर्थन करना चाहिए.
डॉक्टर ईशा कहती हैं कि बड़े होने पर माता-पिता अपने बच्चों के साथ कैसे बात चीत करें और उनसे कैसे संबंध रखें, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है.
“ड्रग्स के संबंध में शिक्षकों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, स्कूल का वातावरण कैसा है, शिक्षक बच्चों को किस तरह से गाइड कर रहे हैं, वे अपने मन की बात खुलकर कहने के लिए कितने फ्रैंडली हैं?” जहां वातावरण उपयुक्त नहीं है, वहां बच्चों के लिए ड्रग्स की ओर रुख़ करना आसान हो जाता है.
वह कहती हैं, ” यह एक छिपी हुई समस्या है जिसके बारे में छोटे बच्चे स्वीकार नहीं करेंगे, इसके बारे में माता-पिता बात नहीं करेंगे, लेकिन यह समाज की एक जटिल समस्या है.”
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