फौज में सिर्फ़ और सिर्फ़ चार साला भर्ती करने का प्लान है तो ये घनघोर आत्मघाती कदम है- किसी भी पुराने फ़ौजी से पूछ लीजिए.
पहाड़ी हूँ (फ़ौज खून में है), NCC(OTU) का “D” सर्टिफ़िकेट (बहुतोंने इसके बारे में सुना भी नहीं होगा) प्राप्त आफ़िसर कैडेट” रहा हूँ और सालों तक डिफ़ेंस संवाददाता रहा हूँ इसलिए फ़ौज की थोड़ा बहुत जानकारी रखता हूँ.
ऐसा शायद ही कोई क़स्बा/ गाँव होगा जहां हर सबेरे जवान लड़्के मीलों दौड़ते, push-up/pull-up करते ना दिख जाते हों. फ़ौज और सुरक्षा बलों के लिए बहुत तगड़ा कंपीटिशन होता है. अगर आपका स्टैमिना ठीक नहीं है, शरीर सौष्ठव उपयुक्त नहीं है तो आप चुने नहीं जा सकते – बहुत बड़ा पव्वा है तो बात अलग है. भर्ती होने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है- हाड़तोड़ मेहनत.
फ़ौज की भर्ती खुलने का इंतज़ार किस शिद्दत से होता है ये सारे गाँव/ क़स्बे वाले जानते हैं.ये एक तरह का उत्सव होता है.
गुजरात में शायद ये इतना बड़ा उत्सव नहीं होता…
*ऐसे में भर्ती होने के लिए सुबह शाम जान लड़ा रहे लड़्के लड़कियों को कहोगे कि अब तुम्हारे लिए सिर्फ़ चार साला नौकरी है तो क्या वो खुश होंगे, आपकी आरती उतारेंगे.
अब ये मत कहना कि ज़्यादातर सिपाही तो वैसे भी आठ-दस साल में बाहर आ जाते हैं. अरे भाई, उन्हें पेंशन मिलती है, CSD कार्ड मिलता है और सरकारी नौकरियों में आरक्षण/ अधिकतम आयु में छूट भी है.
शॉर्ट सर्विस के अफ़सरों के लिए भी फ़ौज से बाहर आने के बाद उनके रोज़गार की व्यवस्थायें की गई हैं.
इन सिपाहियों के लिए क्या प्रस्ताव है- बाबाजी का….
इसलिए मेरा मानना है कि ये योजना जल्दबाज़ी में तैयार की गई है. अगर पूरी तैयारी की होती तो सबको बताते कि चार साल बाद रोकड़े के अलावा इन्हें और क्या क्या सहूलियतें देने के बारे में सोचा गया है.
नोटबंदी से कुछ सबक़ ले लेते तो ठीक रहता. जल्दबाज़ी में लिए गए फ़ैसले लोगों को तकलीफ़ के अलावा कुछ नहीं देते. मोदी की घोषणा के आँकड़ों को भरने के लिए आनन फ़ानन में बनाई गई ये योजना किसान कानूनों की तरह कहीं वापस ना लेनी पड जाए
और हाँ, ये योजना अमेरिका के “कंपलसरी ड्राफ़्ट “ जैसी क़तई नहीं है. वो ड्राफ़्ट एक हलफ़नामा है जो १८ से २५ साल के हर युवक को साइन करना होता है कि ज़रूरत पड़ने पर उसे फ़ौज में नौकरी के लिए बुलाया जा सकता है. ड्राफ़्ट का मतलब तत्काल नौकरी नहीं है. हाँ जो ये ना भरे उसके लिए दंड का प्रावधान है- सरकारी नौकरी तो बिलकुल नहीं मिलेगी.
फ़ौज की चार साला भर्ती योजना का विरोध क्यों हो रहा है ये समझना है तो भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों का दर्द समझना ज़रूरी है.
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