लगता है देश में अगला लोकसभा चुनाव कश्मीरी पण्डितों की शहादत के सहारे होने हैं।

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कल ही कश्मीर में एक कश्मीरी पण्डित की हत्या कर दी गई
पिछली बार भी जब कश्मीरी पण्डितों ने अत्याचार झेले और उनका सब कुछ लुटा तब भी भाजापा सत्ता पर क़ाबिज़ थी तमाशबीन थी आज पुन: आग बुझाने की बजाए राख कुरेद कुरेद कर शोले भड़काने का षडयण्त्र रच रही है
भाजपा और संघ कश्मीर में कभी शान्ति नहीं चाहते हैं ये हर बार वहॉं का माहौल ख़राब करके कश्मीर को नफ़रत का प्रतीक बना कर पूरे देश में धार्मिक उन्माद फैलाते रहे हैं
जिस भी प्रदेश में इनकी सरकारें नहीं होती हैं वहॉं दंगे करवाते हैं धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए अपनों का ही क़त्ल करवाते हैं और फिर उसकी आड़ में दूसरों को जलाते हैं ये संघ की पैदाइशी पहचान है
कश्मीर शान्त कैसे रह सकता है तो षडयण्त्रकारियों ने एक सौहार्द समाप्त करने वाली ज़हरीली फ़िल्म बनवाई और उसकी आड़ में लोकसभा चुनाव तक कश्मीर सहित पूरा भारतवर्ष नफ़रत की आग में जलता रहे ये सुनिश्चित किया जा रहा है
कश्मीरी पण्डित भाइयों से कर बद्ध निवेदन है कि स्वयं को बलि का बकरा बनाए जाने से बचा लें अन्यथा ये संघ और भाजपा आपकी लाशों का प्रयोग पहले भी सत्ता हॉंसिल करने के लिए करती आई है और वही पुन: दोहराया जा रहा है
ये जहॉं भी कमजोर होते हैं या सत्ता में नहीं होते हैं वहीं पर विवादित मुद्दों को उठाते हैं फिर वो चाहे हिजाब हो या मस्जिदों से लाऊडिस्पीकर उतरवाने की बात महाराष्ट्र में ये जब तक सत्ता में रहे तब तक कोई आपत्ति नहीं रही अब जब मुम्बई नगरपालिका के चुनाव सर पर हैं तो नफरती राग अलापने लगते हैं कर्नाटक में भाजपा को सरकार जाती नज़र आ रही है ऐसा ही गुजरात में हुआ था जब गुजरात में मोदी को सत्ता जाती दिखी तभी गोधरा हो गया ।
कभी सोचा है कि क्या भारतीय मुसलमान इतना मूर्ख है कि सब जानते बूझते वो अपने को मरवाने के लिए कार्य करेगा और संघ भाजपा से कहेगा कि आओ हम स्वयं तुमको स्वंय को मारने का हक़ प्रदान कर रहे हैं हम मन्दिर में तोड़फोड़ करने जा रहे हैं जिससे तुम हमारी क़ौम का क़त्ल कर सको हम ट्रेन में आग लगाने जा रहे हैं तुम गुजरात के सारे मुसलमानों को मार दो और सत्ता हॉंसिल कर लो ।
पता नहीं कौन मूर्ख है या कौन बना रहा है और यदि सब जानते हुए मुसलमान भाई लोग ये सब करते हैं तो उनको सोचना होगा कि उनके खैरख्वाह उनको भड़का कर उनका भला चाह रहे हैं या फिर सिर्फ़ स्वयं का उल्लू सीधा कर रहे हैं
क्या मस्जिदों की नमाज़ से कुछ अलग क़िस्म का शोर होता है जो सिर्फ़ उससे आपत्ति है यदि शोर से कष्ट है तो हर धर्म के हर प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों त्योहारों पर होने वाला ख़तरनाक शोर कब समाप्त करवाएँगे ??
ये एक तरफ़ा सोच कई तरह से देश को सत्यानाश कर रही है
१- धार्मिक नफ़रत फैल रही है
२- कोई भी अपने धर्म द्वारा फैलाए जा रहे शोर का विरोध नहीं कर पाता है यदि विरोध करता है तो उसे धर्म के स्वयंभू मनोरोगी ठेकेदार अधर्मी का तमग़ा देने लगते हैं
३- बच्चों की पढ़ाई लिखाई बुजुर्गों की बीमारी से इनको कोई वास्ता नहीं होता है कोई जिए या मरे या फिर पढ़ सके क्योंकि इनके आका की तो डिग्री फ़र्ज़ी है
४- दिनरात के धार्मिक कानफोड़ू शोर से लोगों की मनोदशा ख़राब हो रही है लोगों मे ध्वनि प्रदूषण के कारण खीज ग़ुस्सा असहनशीलता आदि तेज़ी से बढ़ रहा है जो देश को तबाह कर रहा है खोखला कर रहा है ।
ये सब किस लिए ?
महज़ सत्ता प्राप्ति के लिए इन लोगों ने देश को अपनी नफ़रत की प्रयोगशाला में झौंक रखा है
सब से अनुरोध है कि पहले अपने अपने धर्म में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध आवाज़ बुलंद करना सीखिए फिर दूसरे धर्म पर उँगली उठाइए क्योंकि एक ही प्रकार की गलती एक जगह सही दूसरी जगह ग़लत नहीं हो सकती है

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