पहले ये जानें मोदी से कोई क्यूँ बात करेगा?
यूरोपीयन यूनियन अमेरिका, ब्रिटेन, नाटो, सब बेवकूफ़ पड़े हैं यहाँ? यही सब ऊल जलूल बातें कोविड के समय चालू थी। कि दुनिया के सारे देशों ने मोदी को कोविड टास्क फोर्स का लीडर मान लिया, सब मोदी के पैर पड़ रहे हैं कि आओ हमें बचा लो।
सच सुनना है तो सुनिये, नहीं।
उस समय भी मैंनें पूरे विश्व की सारे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मिडिया के मुख्य पृष्ठ को शेयर करते बताया था कि मोदी को दुनिया किस नज़र से देखती है। नार्सिसिस्ट, मेगैलोमैनिआक, इगोइस्ट, अक्षम, ये नाम दिये थे हेडिंग में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने टाइम, द गार्जियन, द डेली मेल, द वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयोर्क टाइम्स, आस्ट्रेलियन डेली, सभी जगह, वो भी फ्रंट पेज पर।
यहा यूरोपीयन पार्लियामेंट में सालों पहले जब अखलाक की लिंचिंग हुई थी तभी ये डिस्कस कर रहे थे कि हमारे प्रधानमंत्री के साथ हाथ मिलाते या फोटो खिंचाते ना दिखें क्यूँकि दुनियाभर में इनके साथ दिखने से इमेज खराब होगी, और डिस्कस हुआ भारत में गिरते मानवाधिकारों का। और तब से क्या क्या हुआ सब गिन लें समझ लें।
यहाँ द गार्जियन, आस्ट्रेलियन डेली जैसे मीडिया हाऊस डिस्क्लेमर निकालते हैं कि ये मोदी की फेक न्यूज़ है हमें कोट करते फेक वेबसाइट से, हमने कभी इनकी तारीफ नहीं की। मोदी के खिलाफ जो लिखा बोला जाता है वो एपिसोड ईत्यादि बैन होती है इंडिया में।
यहाँ दोस्तों के साथ नज़र उठाते शर्म आती है जब वो ये सब डिस्कस करते हँसते हैं भारत के प्रधानमंत्री पर जो 2ab कहाँ गया, राडार सिगनल बादल से छिप गये, गाय, गोबर, गो मूत्र, जैसी बातें करते रहते हैं। अर्थव्यवस्था, विदेश नीति, मानवाधिकारों, धार्मिक सद्भाव ईत्यादि की बात ही छोड़ें।
तो मोदी के लिए जो भी गुणगान करना है उसे देश घर के मामलों ही तक सीमित रखें।
कोई मेरी पोस्ट पर कांग्रेस भाजपा करने ना आये, और ना बोले कि मोदी यहाँ यूक्रेन की लड़ाई बचा लेंगें युगपुरूष बन के। ख़ुद अपने देश की बेइज्जती कराने की भी हद होती है। जंग में भी अपनी रोटी मत सेंकिये।
मोदी यहाँ बात कर लेंगें, वहाँ बात कर लेंगें, युद्ध रुकवा देंगे, बिडेन और पुतिन मोदी का फैसला मानेंगे, पूरी इंडिया की बेवकूफ़ाना न्यूज़ से बेइज्जती हो रही है।
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