प्रधानमंत्री मोदी का भगवा वेशभूषा में माथे पर बड़ा सा तिलक लगा कर सामने आने का मतलब यही है कि वे अपने वोटरों को खास संदेश देना चाहते हैं। लेकिन एक बहुत पुरानी कहावत है-भूखे पेट तो भजन भी नहीं होता। बेरोजगारी के मुद्दे को नजरअंदाज करना भाजपा को महंगा पड़ सकता है। कई छोटे-छोटे समूह हैं, जो अपने रोजगार और वेतन को लेकर सड़कों पर आ चुके हैं। इस समूह को लाठियां मिलीं। प्रयागराज में छात्रों पर हुए लाठी चार्ज भाजपा की बड़ी गलती साबित होगी। ये छोटे-छोटे समूह बड़ा समूह बनता। इसलिए सपा-रालोद गठबंधन को सिर्फ यादव-जाट-मुसलमान गठबंधन न माना जाए। इस गठबंधन को वे जातियां भी समर्थन दे रही हैं, जो भाजपा के ‘अच्छे दिन आएंगे’ वाले जुमले को समझ गर्इं हैं। किसी सरकार के काम को समझने के लिए आठ साल का समय कम नहीं होता। इस चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की दुर्दशा अहम मुद्दे हैं। अंडर करंट कुछ चल रहा है, जिसे शायद भाजपा नहीं देख पा रही है या देख कर अनजान बनी हुई है।