जब से रेलवे के अलग बजट को मुख्य बजट में मोदी सरकार ने मिला दिया, तभी से रेल संचालन में बड़े पैमाने पर निजीकरण और कुप्रबंधन कि आहटें सुनाई पड़ने लगी थीं लेकिन वित्त मंत्री आंकड़ों की बाजीगरी से देश को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाते रहे, लेकिन अब उसी सीएजी ने रेल कुप्रबंधन की पोल खोल दी है जिसकी रिपोर्टों के आधार पर यूपीए 2 की मनमोहन सिंह नीति सरकार वर्ष 2014 में सत्ता से बाहर हो गयी थी। रेलवे मंत्रालय के अनुसार 1,589 करोड़ रुपए का नेट सरप्लस दिखाया गया था, जो कि सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार गलत साबित हुआ है। सीएजी ने मंगलवार को रेलवे वित्त प्रतिवेदन पेश किया था। प्रतिवेदन के तीन अध्यायों में इसे 26,326.39 करोड़ रुपए का घाटा बताया गया है। दरअसल मोदी के चहेते मंत्री पीयूष गोयल ने रेलमंत्री के रूप में बहुत ज्यादा मनमानियां की जिसका कुफल रेलवे भुगत रहा है।
केन्द्र सरकार द्वारा मुनाफों के दावों के बावजूद भारतीय रेल घाटे से जूझ रही है। महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के अनुसार रेलवे को 26 हजार 338 करोड़ रुपए का पिछले एक साल में घाटा हुआ। माना जा रहा है कि रेलवे को इतिहास में पहली बार इतना घाटा हुआ है। रेलवे की मानें तो मंत्रालय के अनुसार 1,589 करोड़ रुपए का नेट सरप्लस दिखाया गया था, जो कि सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार गलत साबित हुआ है। सीएजी ने मंगलवार को रेलवे वित्त प्रतिवेदन पेश किया था। प्रतिवेदन के तीन अध्यायों में इसे 26,326.39 करोड़ रुपए का घाटा बताया गया है। समान्य तौर पर इसे ऐसे समझा जा सकता है कि साल 2019-20 में 100 रूपए कमाने के लिए रेलवे ने 114 रुपए के करीब खर्च किए।
रेलवे विभाग की बैलेंस सीट में इस वित्तीय वर्ष में परिचालन अनुपात 98.36 फीसदी अनुमानित बताया गया था। रेलवे ऋण की बात करें तो पहली बार 2019-20 में 25,730.65 करोड़ रुपये के ऋण शेष हैं। जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में 95,217 करोड़ रुपये का पर अनुमानित था।
रेलवे की कोयले की परिवहन पर भारी निर्भरता थी जो 2019-20 के दौरान माल ढुलाई आय का लगभग 49 प्रतिशत थी। थोक वस्तुओं की परिवहन पद्धति में किये गए बदलाव ने माल ढुलाई आय को काफी प्रभावित किया। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3,773.86 करोड़ रुपये की तुलना में 2019-20 में 1589.62 करोड़ रुपये का कारोबार रहा है।
इसके साथ ही जानकारों का ये कहना है कि रेलवे ने सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन व अन्य व्यय जोनल रेलवे के कुल व्यय (टोटल एक्सपेंडीचर) के बजाए केवल पेंशन फंड में दर्शाया गया। अगर इस हिसाब से रेलवे पेंशन व अन्य व्यय को कुल व्यय में दर्शाया जाता तो रेलवे की बैलेंस शीट ऐतिहासिक रूप से पहली बार 26,326.39 करोड़ रुपये के घाटे में मानी जाती है।
रेलवे के कर्ज की बात करें तो पहली बार 2019-20 में 25,730.65 करोड़ रुपए के ऋण बाकी हैं। ये वित्तीय वर्ष 2019-20 में 95,217 करोड़ रुपए पर अनुमानित था।
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