बीजेपी सांसद और ज़ी समूह के सर्वेसर्वा सुभाष चंद्रा से जुड़े एक बड़े घपले का खुलासा हुवा है। जिसमें एसबीआई से जुड़े एस बैंक से लिए गए लोन को सुभाष द्वारा डकार जाने का मामला सामने आ रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में एस बैंक बार-बार मंत्रालय से लेकर सरकारी एजेंसियों तक का दरवाजा खटखटा रहा है लेकिन उसको कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है। पेश है पवन खेड़ा के शब्दों में सुभाष चंद्रा के फ्राड की पूरी कहानी
यस बैंक लिमिटेड एक निजी बैंक था। 2020 तक बहुत ज्यादा घाटे में चला गया था और उसको एसबीआई के तहत लाया गया और भी बाकी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स थे, लेकिन एसबीआई ने 11,760 करोड़ उसमें डाले और एसबीआई में हम सबका, आप सबका पैसा, आम, जो डिपोजिटर हैं, खाताधारी हैं, उसका पैसा लगा होता है। तो 11,760 करोड़ एसबीआई ने यस बैंक में डाले, उसको जीवित रखने के लिए, उसको ठीक करने के लिए, उसको दुरुस्त करने के लिए। अब यह यस बैंक जो है, वो एसोसिएट बैंक एसबीआई का माना जाता है, कहलाया जाता है, उसकी कैटेगराइजेशन जो है वो है, एसोसिएट बैंक ऑफ एसबीआई। अब वो निजी बैंक नहीं माना जाता है, अब वो एसबीआई का एसोसियेट बैंक है। यह बात पहले ही स्पष्ट हो जाए, तो फिर आगे बात करना, आपको समझना आसान होगा, मुझे बोलना आसान होगा।
अब उसके जो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स हैं, यस बैंक के। उसमें एसबीआई के प्रतिनिधि हैं, आरबीआई के प्रतिनिधि हैं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के और फाईनेंशियल बैंक के प्रतिनिधि उसके बोर्ड पर हैं। जब मॉरिटोरियम लगा यस बैंक पर, तो उसमें यह लिखा गया, दर्शाया गया कि यस बैंक की जो स्थिति बनी है, जो घाटे की स्थिति में यस बैंक आया है, उसका प्रमुख कारण एस्सेल ग्रुप है जो सुभाष चंद्र गोयल का है। उसने लोन लिए और लोन भी 6,789 करोड़ के आउटस्टैंडिंग इस ग्रुप ने लिए। जो नया यस बैंक का बोर्ड बना, जिसमें एसबीआई, आरबीआई और बाकी लोग थे, उसने फॉरेंसिक जांच की खातों की, ऑडिटिंग की, फॉरेंसिक ऑडिटिंग जिसे अंग्रेजी में कहते हैं। 22, जो कर्जे लिए थे, एस्सेल ग्रुप ने, उसमें से 12 की जांच हुई और उन 12 में से 8 फ्रॉड अकाउंट पाए गए। 3,197 करोड़ के फ्रॉड अकाउंट थे। बाकी और बैंकों ने भी जो लोन एस्सेल ग्रुप को दिए हैं, उनको फ्रॉड घोषित किया, फ्रॉड अकाउंट की श्रेणी में डाला।
जब कोई कर्जा लेता है, कोई कंपनी बैंक से कर्जा लेती है, तो कुछ सिक्योरिटी, कुछ कोलेट्रोल रखना पड़ता है। एस्सेल ग्रुप ने डिश टीवी, जो उनकी एक कंपनी है, बीएसई और एनएसई में है ये कंपनी। उसके शेयर सिक्योरिटी के तौर पर रखे यस बैंक के साथ। अब जब ये पैसा नहीं लौटा पाए, तो यस बैंक ने जून, 2020 को प्रक्रिया शुरु की कि जो शेयर हैं, वो ले लिए जाएं और अगस्त, 2021 तक ये प्रक्रिया खत्म हुई और अब यस बैंक के पास डिश टीवी के 25.63 प्रतिशत शेयर हैं। कर्जा लिया था, नहीं चुका पाए, जो सिक्योरिटी थी, वो जब्त कर ली। जो शेयर थे सिक्योरिटी, उसे जब्त कर लिया।
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