गोरखपुर से सटे बस्ती मंडल में वोटों का गणित बैठने के लिहाज से और बीजेपी को झटका देने के लिए बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण चौबे की सपा में एंट्री कराई जा रही है. उधर हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी, बड़े बेटे व पूर्व सांसद कुशल तिवारी और भांजा गणेश शंकर पांडे आज समाजवादी पार्टी जॉइन करेंगे. ब्राह्म्ण बनाम ठाकुर की राजनीति के बीच हरिशंकर तिवारी परिवार का सपा में जाने से पूर्वांचल के समीकरण बदल सकते हैं. यह इलाका ब्राह्मण बहुल माना जाता है और हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मणों के बड़े चेहरे हैं
यूपी में विधानसभा चुनावों (UP Assembly elections) से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों में नेताओं का आना-जाना जारी है. इसी कड़ी में पूर्वांचल की सियासत में ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले बाहुबली हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) का परिवार रविवार को समाजवादी पार्टी में शामिल होने जा रहा है. हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे विनय शंकर और कुशल तिवारी लखनऊ पहुंच गए है. इसके आलावा संतकबीरनगर-खलीलाबाद से बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण चौबे उर्फ जय चौबे, करनैलगंज से BSP प्रत्याशी रहे संतोष तिवारी, पूर्व विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पांडे और कुशीनगर से BJP सांसद के भतीजे भी आज अखिलेश की साइकिल पर सवार हो जाएंगे.
गोरखपुर से सटे बस्ती मंडल में वोटों का गणित बैठने के लिहाज से और बीजेपी को झटका देने के लिए बीजेपी विधायक दिग्विजय नारायण चौबे की सपा में एंट्री कराई जा रही है. उधर हरिशंकर तिवारी के छोटे बेटे विधायक विनय शंकर तिवारी, बड़े बेटे व पूर्व सांसद कुशल तिवारी और भांजा गणेश शंकर पांडे आज समाजवादी पार्टी जॉइन करेंगे. ब्राह्म्ण बनाम ठाकुर की राजनीति के बीच हरिशंकर तिवारी परिवार का सपा में जाने से पूर्वांचल के समीकरण बदल सकते हैं. यह इलाका ब्राह्मण बहुल माना जाता है और हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मणों के बड़े चेहरे हैं.
हरिशंकर तिवारी का इतिहास
उत्तर प्रदेश में ठाकुरों और ब्राह्मणों के बीच वर्चस्व की जंग गोरखपुर की जमीन से ही शुरू हुई थी. वीरेंद्र शाही और हरिशंकर तिवारी के बीच की लड़ाई की वजह से ही पूर्वांचल की सियासत में बाहुबलियों के लिए दरवाजे खोल दिए. हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से 6 बार विधायक भी रहे. हालांकि 2007 में उन्हें इस सीट से हार का सामना करना पड़ा. हरिशंकर तिवारी कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और मुलायम सिंह सरकार में मंत्री भी रहे. जानकारों का मानना है कि इस ब्राह्मण परिवार का सपा में जाना बसपा के लिए झटका तो होगा ही, साथ ही बीजेपी के लिए भी चुनौती बढ़ेगी, क्योंकि ब्राह्मणों के नाराजगी का मुद्दा योगी सरकार में काफी गरमाया हुआ है.