मोदी और उद्योगपतियों की सीधी डील है कि तुम सारा पैसा रख लो मुझे इतिहास में नाम चाहिए अमर होने को। इसमें दोनों का अपना दो फायदा है।
चाय बेचने वाला एक आदमी आज नेहरू – गाँधी – टैगोर बनने की पुरजोर कोशिश में है, बल्कि आप किसी भी भाजपा कार्यालय, सरकारी स्कीम, या सरकार के किसी भी छोटे से छोटे कार्यक्रम पे नजर डालिये आपको मोदी का चेहरा मिलेगा। मध्यप्रदेश के एक लोकल भाजपा कार्यकर्त्ता ने अपनी जेब से कोरोना में लोगों की मदद की और अख़बार में खबर आयी की “मोदी की प्रेरणा से…” कार्यकर्ता ने अख़बार में फोन करके गालियां सुनाई की ये मेरी गाढ़ी कमाई थी.. इसमें मेरे बाप की बजाय मोदी का नाम क्यों डाला तो जवाब मिला.. “अपने मुख्य कार्यालय संपर्क कीजिये.. ऊपर से ऑर्डर हैँ”
अम्बानी ने जिओ में करीब 4 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया और पहले ही दिन मोदी की फोटो छाप दी अख़बारों में, अपनी महानता के लिए व्याकुल मोदी ने खुश होकर कोई कार्यवाही नहीं की (मात्र 500 का जुर्माना लगाया)। अम्बानी ने 3,200 करोड़ रुपया लगाकर Network18 समूह में भागीदारी और Preferential Access ले लिया.. ताकि मोदी के खिलाफ Network18 के 47 चैनलों पे कोई खबर ना दिखाई जाये… उनकी महानता का अनवरत जूठा बखान हो.. अडानी ने मोदी को अपना प्राइवेट जेट दिया चुनाव प्रचार में..
बदले में मोदी ने दोनों के ऊपर धन वर्षा कर दी ओर देश को लुटवा दीया। अडानी को सारी संपत्तियां, एयरपोर्ट, सी पोर्ट, कोयला खदानें, रेलवे मामूली कीमत मे दिया जा रहा है। अडानी को काम्युनिकेशन के सारे ठेके, हज़ारों करोड़ के बैंक लोन माफ़ी हो रहें हैँ, भविष्य के प्रोजेक्ट दिए जा रहें हैँ।
ये सच है मोदी ने पैसा जमीन अपने लिए नहीं ली लेकिन भाजपा को 3700 करोड़ का चंदा मिला है, दिल्ली में 1500 करोड़ का मुख्यालय बनवाया है, करीब 20000 करोड़ की कुल लागत से हर जिले में मॉडर्न फाइव स्टार A/C कार्यालय बनवाये गए हैँ…. ये सारा पैसा उद्योगपतियों ने दिया है.. ताकि मोदी अमर रहें.. ताकि इतिहास में उनका नाम अमर रहें.. इस अमरता की रिश्वत ली गयी है..
संविधान बदल दिया
संसद बदल दी
चुनावी तरीका EVM बदल दिया
सरकारी तंत्र बदल दिया
IAS की ट्रेनिंग बदल दी
क्या ये सब इतिहास में दर्ज नहीं होगा ? सरकार के पास पहले भी पावर होतीं थी लेकिन करोड़ों के विज्ञापन देकर मीडिया द्वारा, “मोदी ने किया तो कुछ सोच कर ही किया होगा” वाला नेरेटिव बिना पैसा संभव नहीं था.. उसके लिये उद्योगपतियों की दी हुईं चुनावी चंदे की हज़ारों करोड़ वाली रिश्वत ही काम आयी है..
पोस्ट का स्क्रीन शॉट लेके रखिये कल खोजी पत्रकार, एजेंसियां, आने वाली सरकारें और पीडियां जागेंगे और इस विषय पर लिखेंगे.. सवाल करेंगे.. आपको आज इस विषय पे बात करने की जरुरत है..आने वाले समय में इसका हिसाब होगा और जरूर होगा।
मोदी ने रिश्वत ली है ? अपने “नाम” जमीन नहीं ली, पैसा नहीं लिया.. फिर किस चीज की रिश्वत ली है।
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