चीन ने अरुणाचल प्रदेश में बनाया है एक नया गांव, सैटेलाइट तस्वीरें आईं सामने

( एनडीटीवी )

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इन सैटेलाइट तस्वीरों में देखा जा सकता है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक नया गांव बसाया है, जहां लगभग 101 घर बने हुए दिखाई दे रहे हैं. 1 नवंबर, 2020 को ली गई इन तस्वीरों को लेकर जब NDTV ने कई विशेषज्ञों को संपर्क किया तो उन्होंने इसकी पुष्टि की कि यह गांव भारत के वास्तविक सीमा के 4.5 किलोमीटर अंदर बना हुआ है और भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय होगा.
यह गांव ऊपरी सुबनशिरी जिले के त्सारी चू नदी के किनारे पर मौजूद है. यह वो इलाका है, जहां पर दोनों देशों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है और इसे सशस्त्र लड़ाई वाली जगह के तौर पर चिन्हित किया गया है. यह गांव हिमालय के पूर्वी रेंज में तब बनाया गया है, जब इसके कुछ वक्त पहले ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून में दशकों बाद गलवान घाटी में एक हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. हालांकि, चीन ने आधिकारिक रूप से कभी नहीं बताया कि उसके कितने जवानों को नुकसान पहुंचा था. पूर्वी लद्दाख का यह विवाद अभी तक कई राउंड की बातचीत के बाद भी नहीं सुलझ पाया है और दोनों देशों के जवान दुर्गम इलाकों में भयंकर जानलेवा ठंड के बीच सीमा पर तैनात हैं.
सबसे नई इमेज 1 नवंबर, 2020 की है. 26 अगस्त, 2019 की तस्वीर को देखें तो यहां पर कोई निर्माण कार्य नहीं दिखता है. तो इसका मतलब है कि यह निर्माण पिछले एक साल में किया गया है.
NDTV ने ये तस्वीरें विदेश मंत्रालय को भी भेजी थीं और डिटेल में सवाल पूछे थे, जिनपर मंत्रालय ने इन्हें सीधे तौर पर खारिज नहीं किया और जवाब में कहा कि ‘हमें चीन की ओर से भारत के सीमाई इलाकों में निर्माण गतिविधियां तेज करने की खबरें मिली हैं. चीन ने पिछले कुछ सालों में निर्माण गतिविधियां शुरू की हैं.’ सरकार का कहना है कि वो सीमा पर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को लगातार बेहतर करने को लेकर प्रतिबद्ध है. उसने कहा, ‘हमारी सरकार ने रोड, पुल वगैरह सहित कई दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने शुरू किए हैं, जिससे हमें सीमा पर स्थानीय जनता से जरूरी कनेक्टिविटी स्थापित करने में मदद मिली है.’
पिछले साल अक्टूबर में, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘कुछ वक्त से, भारतीय पक्ष सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर और सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है, और दोनों पक्षों के बीच तनाव की यही वजह है.’ हालांकि, इस गांव के आसपास चीनी इलाके में तो भारत की ओर से कोई निर्माण नहीं किया गया है.
यहां तक कि, नवंबर 2020 में, जब यह सैटेलाइट इमेज ली गई थी, अरुणाचल से बीजेपी के सांसद तपिर गाव ने लोकसभा में अपने राज्य में चीनी घुसपैठ को लेकर चेतावनी दी थी, उन्होंने खासतौर पर ऊपरी सुबनशिरी जिले का जिक्र किया था. आज सुबह उन्होंने NDTV को बताया कि चीन ने जो निर्माण किए हैं, उनमें डबल लेन की एक रोड भी शामिल है. उन्होंने कहा, ‘निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है. अगर आप सुबनशिरी जिले में नदी के किनारे वाले रास्ते को देखे, तो यहां पर चीन कम से कम 60 से 70 किमी अंदर घुस आया है. स्थानीय रूप से लेंसी नदी के रूप में जानी जाने वाली नदी जो सुबनशिरी नदी की ओर बहती है, के किनारे चीन एक रोड बना रहा है.’
विदेश मंत्रालय ने इस सवाल पर कि, क्या चीन के सामने कूटनीतिक रूप से यह मुद्दा उठाया गया है, कोई सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन उसने NDTV से कहा कि ‘सरकार भारत की सुरक्षा से जुड़े हर डेवलपमेंट पर लगातार नजर रखती है और अपनी क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाती है.’
Surveyor General of India, जिसे भारत सरकार अपने ऑफिशियल मैप की तरह इस्तेमाल करती है, साफ दिखाता है कि जिस इलाके में चीनी गांव बना हुआ है, वो भारत की सीमा में आता है.
NDTV को ये इमेज Planet Labs Inc से मिले हैं, जहां सैटेलाइल इमेजरी के विशेषज्ञ नियमित तौर पर ग्रह पर नजर रखते हैं. उनकी इमेजरी में इस नए गांव के एकदम सटीक कोऑर्डिनेट्स दिखाए गए हैं, जो एक बड़े वर्गाकार ढांचे के उत्तर में स्थित है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन का एक मिलिट्री पोस्ट है, जिसकी सबसे पहले तस्वीर गूगल अर्थ ने एक दशक पहले ली थी. NDTV को मिली नई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि इस जगह को भी अपग्रेड किया गया है.
गूगल अर्थ की तस्वीरें भी दिखाती हैं कि यह गांव मैक्मोहन लाइन के दक्षिण में है, जो भारत की उत्तरपूर्वी सीमा और तिब्बत के बीच पड़ती है. नई दिल्ली इसे ही इस इलाके में भारत और चीन के बीच की सीमा मानता है. हालांकि, चीन इस सीमा को विवादित मानता है.
भारत-चीन के संबंधों के विशेषज्ञ क्लॉद आर्पी का कहना है, ‘यह गांव मैक्मोहन लाइन और भारतीय पक्ष की ओर से निर्धारित वास्तविक नियंत्रण रेखा के काफी दक्षिण में है.’ उन्होंने कहा कि भले ही यह इलाका विवादित रहा है, लेकिन यहां पर एक नए गांव का निर्माण असामान्य रूप से काफी गंभीर मुद्दा है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच सीमाओं पर कई जटिलताएं पैदा कर सकता है.
गांव बनाना, दोनों देशों के बीच किए गए कई समझौतों के अहम हिस्से का उल्लंघन लगता है, जो कहता है कि दोनों देशों को ‘सीमाई इलाकों की अपनी-अपनी जनसंख्या के हितों की सुरक्षा करना’ और ‘सीमा के आखिरी हल तक पहुंचने तक दोनों देशों को एक दूसरे की वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करने और सीमाई इलाकों में साथ मिलकर शांति बनाए रखना होगा.’
सशस्त्र संघर्षों के बड़े सैन्य विश्लेषक सिम टैक कहते हैं, ‘इमेजरी साफ दिखाती है कि चीनी निर्माण भारत के दावे वाली सीमा के भीतर किया गया है. यह देखना जरूरी है कि चीनी सेना ने इस घाटी में साल 2000 से ही कम ही सही लेकिन अपनी फॉरवर्ड पोजीशन बना रखी है, जिसके चलते चीन को सालों से घाटी में नजर रखने में मदद मिली है. उसे अपेक्षतया विरोध देखने को नहीं मिला है, जिसके चलते धीरे-धीरे वो घाटी में अपनी मोबिलिटी बढ़ाता रहा है, जो आखिरकार अब एक गांव के रूप में देखने को मिल रहा है.’
त्सारी चू नदी घाटी ने 1959 में दोनों देशों के बीच झड़प देखे हैं. उस वक्त भारत की ओर से चीन को एक औपचारिक नोट भेजकर बताया गया था कि चीनी पक्ष की ओर से भारत के एक फॉरवर्ड पोस्ट पर बिना किसी नोटिस के फायरिंग की गई थी.
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी कहते हैं, ‘चीन धीरे-धीरे करके अंदर घुसने वाली तकनीक अब अरुणाचल प्रदेश में अपना करके भारत के खिलाफ दूसरा मोर्चा खोल रहा है. भारत की सीमा के भीतर घुसकर निर्माण करने का उसका यह कदम साफ दिखाता है कि वो कैसे भू-राजनैतिक पहलुओं की परवाह किए बिना, इतनी तेजी से जमीन पर चीजें बदल रहा है

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