तानाशाही किसी को नहीं बख्शती, क्या हिंदू क्या मुसलमान, क्या जवान क्या किसान

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गृह राज्यमंत्री ने कुछ दिन पहले किसानों को धमकी दी थी, आज उनके बेटे ने किसानों को गाड़ी से कुचल दिया. अब वे सोशल मीडिया पर झूठ फैलाएंगे. एजेंडाबाजी शुरू हो गई है. अब वे बताएंगे कि किसानों ने खुद किसानों को मारा या वे खुद मर गए. इनके नेता तो गंगा की तरह पवित्र हैं. उनकी घृणा भी हनुमानगढ़ी का प्रसाद है. 

नशे में हैं. वे सत्ता की ताकत में इतने अंधे हैं कि जनता उन्हें कीड़ा मकोड़ा दिख रही है. इसलिए वे जनता को और साथ में भारतीय लोकतंत्र को भी रौंद रहे हैं. उन्हें ताकत का नशा है, इसलिए हराम के पैसे से खरीदी गई उनकी गाड़ी किसी पर भी चढ़ सकती है. वह गाड़ी नहीं है, वह तानाशाही रथ है. वह दिल्ली में प्रदर्शन कर रही जनता को रौंदने निकला था. वह हरियाणा भी पहुंचा, असम भी पहुंचा, यूपी भी पहुंचा. तानाशाही किसी को नहीं बख्शती, क्या हिंदू क्या मुसलमान, क्या जवान क्या किसान. 

भारत में लोकतंत्र को बर्खास्त कर दिया गया है. जब लोकतंत्र नहीं होता तो जवाबदेही नहीं होती. इंस्पेक्टर आधी रात को किसी के कमरे में घुसकर उसे पीटकर मार सकता है. एक मंत्री का बेटा किसी किसान को गोली मार सकता है, उसपर गाड़ी चढ़ाकर उसे रौंद सकता है.

यह तभी से शुरू हो गया था जब अखलाक के घर में भीड़ घुसी थी और उसे पीटकर मार डाला गया था. हत्यारों को भगत सिंह के बच्चे बताया गया था. इतिहास में वह कौन सा भगत सिंह पैदा हुआ था जिसने अपने देश के ही गरीबों को पीटकर मारने की थ्योरी दे डाली थी. वे इतिहास, वर्तमान और भविष्य सब रौंद रहे हैं. 

दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाई गईं. दंगा कराया गया. सीएए प्रोटेस्ट के दौरान सिर्फ यूपी में करीब दो दर्जन लोग पुलिस की गोली से मारे गए थे. ​आंदोलन कर रहे करीब 400 किसान अलग अलग वजहों से अब तक मारे जा चुके हैं. 

अब यह नया अध्याय है जहां पर नेता खुद किसानों को रौंदने निकल पड़ा. उसे ये हिम्मत कहां से मिली? उसे भरोसा है कि गोडसे को देवता घोषित करने वाली महामानव अगर संसद की शोभा बढ़ा सकती है, गोली मारो का आह्वान करने वाला नेता अगर मंत्री बन सकता है, तो किसानों को रौंदने वाला जरूर प्रधानमंत्री बनेगा. हत्या, दमन, बर्बरता और नरसंहार ही उनकी योग्यता का पैमाना है. यह वे किसके साथ करेंगे? जाहिर है, वे ये सब अपने ही देशवासियों के साथ करेंगे, जैसा कि कर रहे हैं. 

वे जवान और किसान का नारा भी लगाएंगे और दांव मिलेगा तो जवानों और किसानों को बेरहमी से कुचल देने की पशुता करने से नहीं हिचकेंगे. 

सरकार अगर हिंसा, हत्या और घृणा का कारोबार करने लगे तो ऐसी सरकार और पार्टी को सत्ता से बेदखल करने और राजनीतिक रूप से नेस्तनाबूद करने के अलावा कोई चारा नहीं है. अन्यथा वे जितने लंबे वक्त तक सत्ता में रहेंगे, यह नरसंहार बढ़ता जाएगा.

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