मुंबई, 13 नवंबर (PTI):
मुंबई की एक विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री और NCP नेता नवाब मलिक के परिवार द्वारा संचालित रियल एस्टेट फर्म की डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि आरोप तय करने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
मलिक और उनके परिवार की कंपनियाँ—Solidus Investments Pvt Ltd और Malik Infrastructure—पर आरोप है कि वे दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की अवैध गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल हैं।
क्या कहा अदालत ने?
विशेष न्यायाधीश सत्यानारायण नवंदर ने 11 नवंबर को दिए आदेश में कहा कि:
नवाब मलिक ने D-कंपनी के सदस्यों हसीना पारकर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर अवैध रूप से कब्जाए गए संपत्ति के सौदे में भूमिका निभाई।
यह संपत्ति PMLA के तहत पहले ही अटैच की जा चुकी है।
Solidus Investments और Malik Infrastructure के जरिए वसूला गया किराया भी ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम’ की श्रेणी में आता है।
इसलिए सभी आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम करने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है।
ED का मामला क्यों हुआ था?
ED की कार्रवाई NIA की उस FIR पर आधारित है, जो दाऊद इब्राहिम, उसके नेटवर्क और 1993 मुंबई बम ब्लास्ट से जुड़े आरोपियों के खिलाफ UAPA के तहत दर्ज की गई थी।
नवाब मलिक को ED ने फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। वर्तमान में वे जमानत पर बाहर हैं।
PMLA केस में नवाब मलिक की मुश्किलें बढ़ीं — दाऊद इब्राहिम कनेक्शन पर डिस्चार्ज याचिका खारिज
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