Mumbai : मुंबई | 2 नवंबर 2025 | रविवार
महायुती सरकार महाराष्ट्र ओनरशिप फ्लैट्स एक्ट (MOFA) को रद्द करने पर विचार कर रही है। 1963 में बना यह कानून फ्लैट खरीददारों और हाउसिंग सोसायटियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था।
क्या है मामला?
रियल एस्टेट संगठनों जैसे CREDAI-MCHI (जो बिल्डरों का संगठन है) की मांग पर सरकार इस कानून को खत्म करने पर विचार कर रही है। ये संगठन मानते हैं कि MOFA की जगह अब RERA (Real Estate Regulation and Development Act, 2016) पर्याप्त है।
लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर MOFA को हटा दिया गया, तो हजारों सोसायटियों को ‘deemed conveyance’ यानी ज़मीन के स्वामित्व के अधिकार पाने में दिक्कतें होंगी।
MOFA क्यों ज़रूरी है?
यह कानून हाउसिंग सोसायटियों को बिल्डर से ज़मीन का अधिकार दिलाने में मदद करता है।
मुंबई जैसे शहरों में कई सोसायटियों के पास आज भी ज़मीन का कन्वेयन्स नहीं है।
पूरे महाराष्ट्र में करीब 71,000 हाउसिंग सोसायटियाँ हैं, जिनमें से आधी से ज़्यादा मुंबई में हैं और ज़मीन के अधिकारों से वंचित हैं।
एक्सपर्ट्स की राय:
पूर्व हाउसिंग सेक्रेटरी सिताराम कुनटे ने कहा —
“MOFA को हटाने से हजारों सोसायटियों को ज़मीन के स्वामित्व के लिए और ज्यादा संघर्ष करना पड़ेगा। बिल्डर्स को फायदा होगा, लेकिन आम फ्लैट मालिकों की स्थिति कमजोर हो जाएगी।”
मुख्य चिंता:
अगर MOFA हटाया गया तो—
सोसायटियों के लिए ज़मीन का मालिकाना हक पाना मुश्किल होगा।
बिल्डर्स को फायदा होगा, फ्लैट ओनर्स को नहीं।
पुराने प्रोजेक्ट्स में “deemed conveyance” की प्रक्रिया ठप पड़ सकती है।




