Uttar Pradesh : गाजियाबाद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक रिटायर्ड प्रोफेसर खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताकर वीआईपी सुविधाएं ले रहा था। आरोपी ने अपनी मर्सिडीज कार पर राजनयिक वाहनों जैसी विशेष नंबर प्लेट लगा रखी थी, जिससे वह अधिकारियों को गुमराह कर रहा था। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस व्यक्ति ने मथुरा और फरीदाबाद में भी खुद को हाई कमिश्नर बताकर सरकारी प्रोटोकॉल का लाभ उठाया था। फिलहाल, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर आगे की जांच शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश में फर्जी दस्तावेज के सहारे प्रोटोकॉल पाने वाले एक शख्स को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी शख्स पर खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताकर अधिकारियों और लोगों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप है। पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी की पहचान दिल्ली निवासी 66 वर्षीय कृष्ण शेखर राणा के रूप में हुई है। इसके पास से 42 विजिटिंग कार्ड, 1 लाल नीली बत्ती, नीले रंग की प्लेट वाली मर्सिडीज कार बरामद हुई है।
पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी ने अब तक गाजियाबाद, मथुरा समेत कई जिलों फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्रोटोकॉल लिया है। प्रोटोकॉल और सरकारी सुविधाएं लेने के लिए यह सब करता था।



इस मामले में ट्रांस हिंडन जोन के पुलिस उपायुक्त निमिष पाटील ने बताया कि खुद को ओमान का हाईकमिश्नर बताने वाले कृष्ण शेखर राणा को गिरफ्तार किया गया है। इनसे पूछताछ में सामने आया है कि ये एक एनजीओ इंडिया जेसीसी ट्रेड काउंसिल के लिए काम करते हैं।
इस मामले में ट्रांस हिंडन जोन के पुलिस उपायुक्त निमिष पाटील ने बताया कि खुद को ओमान का हाईकमिश्नर बताने वाले कृष्ण शेखर राणा को गिरफ्तार किया गया है। इनसे पूछताछ में सामने आया है कि ये एक एनजीओ इंडिया जेसीसी ट्रेड काउंसिल के लिए काम करते हैं।
आरोपी कृष्ण शेखर राणा ने गाजियाबाद, मथुरा और फरीदाबाद में प्रोटोकॉल पाने के लिए फर्जी दस्तावेज भेजा था। पुलिस ने उन दस्तावेजों को भी बरामद कर लिया है। हाई कमिश्नर वाले विजिटिंग कार्ड भी बरामद हुए हैं। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने प्रोटोकॉल के लिए एक लेटर भेजा था। जिसके बाद उन्हें प्रोटोकॉल भी दे दिया गया था। लेकिन प्रोटोकॉल को लेकर जो डॉक्यूमेंट भेजे गए थे वो संदिग्ध पाए गए थे।
इसी के चलते इनसे पूछताछ की गई थीं। पूछताछ में इन्होंने अपना जुर्म कबूल लिया था। इनकी गाड़ी की भी जांच की गई है, ये गाड़ी इन्हीं के नाम पर प्राइवेट नंबर पर रजिस्टर्ड है। पुलिस ने बताया कि प्रोटोकॉल और सरकारी सुविधाएं पाने के लिए ही सब कुछ किया है।
कृष्ण शेखर राणा 4 यूनिवर्सिटी में कुलपति रह चुके हैं। जबकि दो यूनिवर्सिटी में एसोसिएटिंग वीसी रहे हैं। इसके बाद डॉ. कृष्ण ने मिनिस्ट्री ऑफ एन्वॉयरमेंट में एक्सपर्ट एडवाइजर के रूप में काम किया है। इसके बाद इन्होंने 2024 में एक एनजीओ ज्वाइन किया है, जो ट्रेड प्रमोट करने के लिए गल्फ कंट्री से सम्बंध रखता था।
ओमान एम्बेसी से संपर्क करने पर पता चला कि उन्हें वहां इस नाम से कोई हाई कमिश्नर काम नहीं करता है। साथ ही इनकी गाड़ी को भी उनकी एम्बेसी की ओर से नहीं दिया गया है। फिलहाल एनजीओ रजिस्टर्ड है और पुलिस जांच में अभी तक कोई कमी नहीं पाई गई है।