Mumbai:माया नगरी मुंबई में लॉरेंस बिश्नोई नाम पिछले कुछ महीनों से खूब चर्चा में है. कारण है पहले सलमान खान के घर पर फायरिंग और फिर उनके करीबी बाबा सिद्दीकी की हत्या. इन सब घटनाओं ने दाऊद इब्राहिम, हाजी मस्तान और करीम लाला की यादें ताजा कर दी हैं. जैसे इस समय लॉरेंस का खौफ मुंबई में है. ठीक इसी तरह इन गैंगस्टर्स का भी कभी बोलबाला होता था. लेकिन कैसे ये गैंगस्टर्स माया नगरी में अपना सिक्का जमाते हैं, जानते हैं यहां…
महाराष्ट्र के मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की नृशंस हत्या (Baba Siddiqui Murder) ने सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस हत्याकांड ने 1990 के दशक की यादें ताजा कर दी हैं. वो एक ऐसा दौर था जब ऐसे आपराधिक गिरोहों की गुंडागर्दी मुंबई में बहुत आम बात थी. एक दशक तक शहर पर शासन करने वाले नामी गैंगस्टर्स (Gangsters) द्वारा जबरन वसूली वाले कॉल के डर से महानगर के अमीर और प्रसिद्ध लोग कोई भी त्योहार तक नहीं मना सकते थे. जब तक पुलिस ऐसे अपराधियों को मार न डाले तब तक वो डर के साए में रहते थे.
फिर 1999 में आया महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) कानून. मकोका का कानून उस वक्त विशेष रूप से गिरोहों की हिंसक, नापाक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए लाया गया था. कानून आने के बाद बेशक पुलिस द्वारा अपराधियों के एनकाउंटर की घटनाओं में कमी आने लगी. लेकिन इन पर एक्शन जरूर और तेज हो गया था. गैंगस्टर्स बड़ी हस्तियों को टार्गेट कर उनसे पैसा वसूलते थे.
इन्हीं पैसों से फिर गैंगस्टर्स अपनी गैंग का खर्च चलाते थे. लेकिन कानून जब और सख्त हुआ तो अपराधियों में भी थोड़ा खौफ इसका दिखने लगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के आपराधिक गिरोहों ने फिर अवैध शराब, गैंबलिंग, चांदी, सोना, रसायन, बॉल बेयरिंग और नशीले पदार्थों की तस्करी शुरू की.
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