आम तौर पर लोग जीवन में या फिर काम धंधों में विकल्पों की बात करते हैं, लेकिन जिनके पास कोई विकल्प नहीं होता वे क्या करते हैं?
वे ख़ुद को उसी काम में झोंक देते हैं और फिर एक दिन ऐसा आता है कि अलीगढ़ के मामूली परिवार का कोई लड़का आईपीएल का स्टार बन जाता है.
जी हाँ, महज़ 24 साल में रिंकू सिंह की कामयाबी बताती है कि अगर आपके इरादे पक्के हों और हौसले बुलंद तो आसमान का सीना भी चीर सकते हैं.
रिंकू सिंह की पूरी कहानी सुनकर आपको ऐसा ही लगेगा.
लेकिन पहले बात रविवार को खेले गए पहले मुक़ाबले की. गुजरात टाइटंस के ख़िलाफ़ केकेआर को आखिरी ओवर में जीत के लिए 29 रन बनाने थे. टीम को जीत के लिए 205 रन लक्ष्य मिला था और केकेआर के सभी दिग्गज बल्लेबाज़ आउट हो चुके थे.
आखिरी ओवर में चुनौती मुश्किल नहीं नामुमकिन मानी जा रही थी लेकिन रिंकू सिंह ने अपनी जबरदस्त बल्लेबाज़ी से असंभव को संभव कर दिखाया.
उन्होंने आखिरी ओवर डाल रहे यश दयाल की लगातार पांच गेंदों पर पांच छक्के लगाकर केकेआर को तीन विकेट से जीत दिला दी.
बीते साल भी वो केकेआर के लिए ऐसी ही पारी खेल चुके हैं.
तब उन्होंने क्रिकेट समीक्षक हर्षा भोगले से कहा, “पाँच साल हो गया है, खेलते-खेलते, इंतज़ार करते-करते.” तो हर्षा भोगले कहते हैं, “अब कप्तान श्रेयस के कमरे में जाकर कहोगे कि नाम रिंकू सिंह है याद रखो.” तो रिंकू सिंह कहते हैं कि ज़रूर कहूँगा.”
ये रिंकू सिंह का वो भरोसा है जो किसी तुक्के में नहीं आया है. ये लगातार संघर्ष के बूते आया है और इसमें उनकी क़ाबिलियत भी शामिल है, जिसके चलते साल 2018 से ही वे कोलकाता नाइटराइडर्स के साथ बने हुए हैं.
दरअसल, रिंकू सिंह की कहानी समाज के उस तबके के युवा की कहानी है, जिसने गुरबत के दिनों में यह भांप लिया हो कि कोई एक चीज़ से मुकद्दर बदल सकता है, रिंकू सिंह को भी कम उम्र में लग गया था कि क्रिकेट का खेल ही उनका मुकद्दर बदल सकता है.
अलीगढ़ में एक गैस वैंडर के पाँच बेटों में एक रिंकू सिंह को स्कूली दिनों से ही क्रिकेट खेलने में मज़ा आने लगा था लेकिन हालात अलग थे. कोलकाता नाइटराइडर्स की वेबसाइट पर मौजूद उनके एक वीडियो के मुताबिक़, “पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि मैं खेल में समय बर्बाद करूं. तो बहुत पिटाई भी हो जाती थी. वे डंडा लेकर इंतज़ार करते थे कि कब आता है घर. लेकिन भाइयों ने साथ दिया और हर मौक़े पर क्रिकेट खेलता था. बॉल ख़रीदने तक के पैसे नहीं होते थे. लेकिन इस दौरान कुछ लोगों ने मदद भी की.”
एक टूर्नामेंट ऐसा भी आया जब रिंकू सिंह को शानदार प्रदर्शन करने के लिए इनाम के तौर पर मोटरसाइकिल मिली. बेटे ने अपने पिता को वह मोटरसाइकिल गिफ़्ट कर दी.
पिता को भी लगा कि अलीगढ़ के कारोबारियों के घरों और कोठियों में गैस सिलिंडर पहुँचाने के सालों के काम में वे जिस मोटरसाइकिल को नहीं ख़रीद सके, वो बेटे के क्रिकेट ने ला दिया, लिहाजा मार पिटाई तो बंद हो गई. लेकिन परिवार के सामने आर्थिक चुनौतियां बनी हुईं थीं.
लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब रिंकू सिंह वही चमत्कार कर दिखाने को तैयार हैं. बाएं हाथ के बल्लेबाज़ और दाएं हाथ के आफ़ ब्रेक गेंदबाज़ रिंकू का सपना एक दिन भारत के लिए क्रिकेट खेलना है, लेकिन इसके लिए उन्हें आईपीएल और घरेलू क्रिकेट की अपनी उपयोगी पारियों को धमाकेदार पारियों में तब्दील करना होगा.
रिंकू सिंह, 2016 से ही उत्तर प्रदेश की ओर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हिस्सा ले रहे हैं और पाँच शतक और 16 अर्धशतक की मदद से अब तक 2307 रन बनाए हैं.