रिलायंस कैपिटल में शेयरों की ट्रेडिंग रोक दी गई है। एक्सचेंजों ने कंपनी के शेयरों को एडिशनल सर्विलांस मेजर यानी एएसएम में डाल दिया है। यह कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। रिलायंस कैपिटल में पब्लिक शेयरहोल्डिंग 94 फीसदी से ज्यादा थी। यह बताता है कि सबसे ज्यादा नुकसान इन्हें ही हुआ है।
रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के शेयरों की वैल्यू जीरो हो गई है। यह अनिल अंबानी (Anil Ambani) के रिलायंस समूह की कंपनी है। इसमें कारोबार रोक दिया गया है। डीमैट से सभी शेयर डेबिट कर दिए गए हैं। इस कंपनी में पब्लिक शेयर होल्डिंग 94 फीसदी से ज्यादा थी। इसका मतलब यह हुआ कि सबसे ज्यादा नुकसान रिटेल निवेशकों को हुआ है। रिलायंस कैपिटल के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NCLT का रुख किया था। कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के तहत यह कदम उठाया गया था। रिलायंस कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली कंपनी थी। इसकी प्रमोटर रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह है। रिलायंस कैपिटल मिडकैप 50 का हिस्सा रही है। यह लाइफ, जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस में सेवाएं देती रही है। कमर्शियल, होम फाइनेंस, इक्विटी और कमोडिटी ब्रोकिंग जैसे क्षेत्रों में भी इसने सेवाएं दी हैं। शेयरों की वैल्यू जीरो हो जाने के बाद निवेशक पूरी तरह असमंजस में हैं। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है।
कर्ज में फंसी हुई थी कंपनी
रिलांयस कैपिटल काफी समय से कर्ज में फंसी थी। कर्जदाताओं की एक समिति ने बुधवार को कंपनी के रेजॉल्यूशन प्रोसेस की समीक्षा की थी। कंपनी के लिए बोली प्रक्रिया 29 अगस्त को समाप्त हुई है। रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए इंडसइंड बैंक, अमेरिका की संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल और टॉरेंट ग्रुप छह कंपनियों ने बोली लगाई है। रिलायंस कैपिटल ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा था कि कंपनी की कर्जदाताओं की समिति की 18वीं बैठक गुरुवार को मुंबई में हुई थी। बैठक में समाधान योजना की समीक्षा की गई।
रिलायंस कैपिटल के अलावा रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग के शेयरों में भी ट्रेडिंग रोकी गई है। रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग भी इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड के तहत दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। इसके कारण एक्सचेंजों ने इन शेयरों को एडिशनल सर्विलांस मेजर यानी एएसएम में डाल दिया है। एएसएम में आने के बाद इन शेयरों में सप्ताह में सिर्फ एक बार ही ट्रेडिंग हो सकती है।
कैसे शुरू होती है दिवालिया प्रक्रिया?
जब कोई कंपनी अपना कर्ज लौटाने में चूक करती है तो कर्ज देने वालों के पास इंसॉल्वेंसी रेजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू करने का अधिकार होता है। इसका मकसद कर्ज की रकम को वसलूना होता है। इसके लिए वो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में आवेदन करते हैं। 6 महीने के लिए कंपनी के सभी एसेट फ्रीज कर दिए जाते हैं। इन 6 महीनों के दौरान एनसीएलटी तमाम विकल्पों के बारे में मंथन करता है। इसका मकसद यह होता है कि कंपनी को रिवाइव किया जा सके। साथ ही यह फैसला लिया जा सके कि आगे क्या किया जा सकता है।
पिछले साल 29 नवंबर को आरबीआई ने रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को भंग कर दिया था। इसकी कमान उसने अपने हाथों में ले ली थी। फिर उसने दीवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए एनसीएलटी का रुख किया था। कंपनी लिए गए कर्ज को लौटाने में नाकाम रही थी। इसी के बाद यह कदम उठाया गया था।