Maithili Sharan Gupt Biography In Hindi मैथिली शरण गुप्त

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कवि मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय, जन्म, रचना
Maithili Sharan Gupt Biography, Poems, Books, Rachnaye, Death, Essay, Awards In Hindi

स्कूल में खेलकूद में मन लगता था इसलिए पढ़ाई से ध्यान हट गया. लेकिन घर पर ही खुद से संस्कृत, बांग्ला और हिंदी सीखी. 1886 में उत्तर प्रदेश के झांसी के पास पैदा हुए. मैथिली शरण गुप्त जी ने आगे चलकर बंगाली के काव्यग्रंथों जैसे ‘मेघनाथ वध’, और ‘ब्रजांगना’ का अनुवाद भी किया. 1953 में भारत सरकार ने मैथिलि शरण गुप्त को पद्म विभूषण से सम्मानित किया.

1953 में भारत सरकार ने मैथिलि शरण गुप्त को पद्म विभूषण से सम्मानित किया.

1956 में अपनी कविताएं सुनाते मैथिली शरण गुप्त. (फोटो – इंडियन हिस्ट्री पिक्स/ट्विटर)

मैथिलीशरण गुप्त जी हिंदी साहित्य के प्रथम कवि के रूप में माने जाते रहे हैं. पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा आदि मैथिलीशरण गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हुआ करते थे. गुप्त जी की कीर्ति भारत में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय बहुत ही प्रभावशाली सिद्ध हुईं थी. इसी कारण से महात्मा गांधी जी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित किया था और आज भी हम सब लोग उनकी जयंती को एक कवि दिवस के रूप में मनाते हैं. सन् 1954 ई. में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. तो आइये जानते हैं इनके जीवन से जुडी हुईं कुछ रोचक जानकारियां

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय | Maithili Sharan Gupt Biography In Hindi

जानकारी (Information) नाम (Name)मैथिलीशरण गुप्तजन्म (Date of Birth)03/08/1886आयु78 वर्षजन्म स्थान (Birth Place)झाँसी, उत्तरप्रदेशपिता का नाम (Father Name)रामचरण गुप्तमाता का नाम (Mother Name)कशीवाईपत्नी का नाम (Wife Name)ज्ञात नहींपेशा (Occupation )लेखक, कविभाषा शैलीब्रजभाषामृत्यु (Death)12/12/1964 ई.मृत्यु स्थान (Death Place)—-अवार्ड (Award)विशिष्ट सेवा पदक

बाल कविताओं के प्रमुख कवि और खड़ी बोली को अपनी कविताओं का माध्यम बनाने वाले प्रमुख महत्वपूर्ण कवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म सन 3 अगस्त 1886 ई. को झाँसी जिले के चिरगांव नामक स्थान पर एक संपन्न वैश्य परिवार में हुआ था.

इनके पिताजी का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माता का नाम कशीवाई था. इनके पिता रामचरण गुप्त जी एक निष्ठावान् प्रसिद्ध राम भक्त और काव्यानुरागी थे. ये दोनों ही गुण गुप्त जी को पैतृक संपत्ति के रूप में प्राप्त हुए थे. गुप्त जी ने अपने पिताजी से भी बड़ा कवि बनने का आशीर्वाद अपनी एक प्रमुख रचना द्वारा पिताजी से ही अर्जित किया था.

मैथिलीशरण गुप्त साहित्यिक जीवन परिचय

मैथिलीशरण गुप्त के जीवन में राष्ट्रीयता के भाव कूट – कूट कर भरे थे. इसी कारण उनकी सभी रचनाएं राष्ट्रीय विचारधारा से ओत – प्रोत हैं. राष्ट्र कवि गुप्त जी की प्रारभिक शिक्षा इनके अपने गाँव में ही संपन्न हुईं. इन्होंने मात्र 9 वर्ष की आयु में शिक्षा छोड़ दी थी. इसके उपरांत इन्होने स्वाध्याय द्वारा अनेक भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया था.

गुप्त जी का मार्गदर्शन मुंशी अजमेरी जी से हुआ और 12 वर्ष की आयु में ब्रजभाषा में ‘कनकलता’ नाम से पहली कविता लिखना आरंभ किया था. महादेवी वर्मा जी के संपर्क में आने से उनकी कवितायेँ खाड़ी बोली सरस्वती में प्रकाशित होना प्रारम्भ हो गया था. प्रथम काव्य संग्रह “रंग में भंग” तथा बाद में “जयद्रथ वध” प्रकाशित हुई.

उन्होंने बंगाली भाषा के काव्य ग्रन्थ में ‘मेघनाथ बध’ अथवा ‘’ब्रजांगना’’ का भी अनुवाद किया था. 1912 व 1913 में राष्ट्रीयता की भावनाओं से परिपूर्ण ‘’भारत भारती’’ काव्य ग्रन्थ भी प्रकाशित हुआ था. इसमें गुप्त जी ने स्वदेश प्रेम को दर्शाते हुए वर्तमान में देश की दुर्दशा से उबरने के लिए समाधान खोजने का सम्पूर्ण प्रयोग किया था. संस्कृत भाषा का प्रमुख काव्य ग्रन्थ “स्वप्नवासवदत्ता”, महाकाव्य साकेत, उर्मिला आदि काव्य भी प्रकाशित हुए.

मृत्यु | Maithili Sharan Gupt Death

मैथिलीशरण गुप्त जी पर गांधी जी का भी गहरा प्रभाव पड़ा था इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया और कारावास की यात्रा भी की थी. यह एक सच्चे राष्ट्र कवि भी थे. इनके काव्य हिंदी साहित्य की अमूल निधी माने जाते हैं. महान ग्रन्थ ‘भारत भारती’ में उन्होंने भारतीय लोगों की जाति और देश के प्रति गर्व और गौरव की भावना जगाई है. अंतिम काल तक राष्ट्र सेवा में अथवा काव्य साधना में लीन रहने वाले और राष्ट्र के प्रति अपनी रचनाओं को समर्पित करने वाले राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी 12 दिसम्बर सन 1964 ई. को अपने राष्ट्र को अलविदा कह गए.

कवि मैथिलीशरण गुप्त की रचनायें

  • यशोधरा
  • रंग में भंग
  • साकेत
  • भारत भारती
  • पंचवटी
  • जय भारत
  • पृथ्वीपुत्र
  • किसान
  • हिन्दू
  • चन्द्रहास
  • कुणालगीत
  • द्वापर आदि

पुरस्कार | Maithili Sharan Gupt Awards

  • इलाहाबाद विश्विद्यालय से इन्हें डी.लिट. की उपाधि प्राप्त हुई थी.
  • सन 1952 में गुप्त जी राज्य सभा में सदस्य के लिए मनोनीत भी हुए थे.
  • 1954 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था.
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