अजीत पवार बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं और 2024 के विधानसभा चुनाव में मिलकर लड़ने जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के बड़े नेताओं को अपना सियासी भविष्य लटकता हुआ दिख रहा है. इसी को देखते हुए उन्होंने राजनीतिक ठिकाने की तलाश शुरू कर दी है. इसी मौके को देखते हुए शरद पवार ने भी बीजेपी के नाराज नेताओं को अपने साथ मिलाकर सियासी दांव चल दिया है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का ऐलान भले ही अभी न हुआ हो, लेकिन राजनीतिक शह-मात का खेल शुरू हो गया है. सूबे की सियासत के मराठा क्षत्रप शरद पवार एक तीर से दो शिकार करने का सियासी दांव चल रहे हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता समरजीत सिंह घाटगे को शरद पवार ने अपनी पार्टी में शामिल करा कर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को ही नहीं बल्कि अजित पवार को भी झटका देने की पठकथा लिखी है. इस तरह शरद पवार ने बीजेपी के मोहरे से महायुति को मात देने की स्ट्रैटेजी बनाई है.
समरजीत सिंह घाटगे मंगलवार को बीजेपी छोड़कर शरद पवार की एनसीपी (एस) में शामिल हो गए हैं. शरद पवार ने उन्हें अजित पवार के करीबी और महाराष्ट्र के ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रिफ की कोल्हापुर के कागल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाने का ऐलान भी कर दिया है. शरद पवार ने घाटगे को सिर्फ टिकट देने की ही बात नहीं कही बल्कि सरकार आने पर मंत्री बनाने का भी संकेत दिया है. इस तरह से घाटगे ने अजित पवार और उनके करीबी मंत्री हसन मुश्रिफ के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के लाख मनाने और आश्वासन दिए जाने के बाद भी समरजीत सिंह घाटगे ने बीजेपी सिर्फ इसलिए छोड़ी, क्योंकि कागल की सीट अजित पवार की एनसीपी के खाते में जानी है. यहां से एनसीपी के दिग्गज नेता हसन मुश्रिफ लगातार पांच बार से विधायक चुने जा रहे हैं. ऐसे में यह सीट हर हाल में एनसीपी को मिलनी है और बीजेपी को किसी भी कीमत पर कागल सीट नहीं जा रही. ऐसे में घाटगे को एमएलसी बनाने का ऑफर पार्टी के द्वारा दिया जा रहा था, लेकिन राजी नहीं हुए.