कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि बीते कुछ महीनों में पीएम मोदी और उनकी सरकार व्यवस्थित ढंग से भारत के लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को ध्वस्त करती जा रही है.
संसद के बजट सत्र की कार्यवाही बाधित रहने पर सोनिया गांधी ने कहा कि चुप्पी से देश की समस्याएं हल नहीं होंगी.
पूर्व कांग्रेस चीफ़ ने अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ के लिए लिखे एक लेख में ये बातें कही हैं.
सोनिया ने लिखा है,”संसद के बीते सत्र में हमने कार्यवाही बाधित करने की सरकार की रणनीति देखी, जिससे विपक्ष को बेरोज़गारी, महंगाई, सामाजिक विभाजन और अदानी स्कैम जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने से रोका जाए.”
उन्होंने लिखा है, “दृढ़ विपक्ष का सामना होने पर नरेंद्र मोदी सरकार ने भाषण को कार्यवाही से हटाने, चर्चा रोकने, संसद के सदस्यों पर निशाना साधने जैसे कुछ अप्रत्याशित कदम उठाए.”
इसका परिणाम ये हुआ कि जनता के पैसों से बना 45 लाख करोड़ रुपये का बजट बिना चर्चा ही पास हो गया. बल्कि लोकसभा में जब वित्त बिल लाया गया तो प्रधानमंत्री अपने चुनावी क्षेत्र में खूब सारी मीडिया कवरेज के बीच परियोजनाओं का उद्घाटन करने में व्यवस्त थे.”
सोनिया गांधी ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग किसी से छिपा नहीं हैं. गांधी ने दावा किया है कि “95 फ़ीसदी के केवल विपक्षी पार्टियों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए और जिन लोगों ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली उनके ख़िलाफ़ चमत्कारिक ढंग से मामले रफ़ा-दफ़ा हो गए.”
सोनिया गांधी ने इस लेख में क़ानून मंत्री की ओर से पूर्व जजों को लेकर दिए गए बयान का भी ज़िक्र किया है और कहा है कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता कम करने के लिए व्यवस्थित तरीके से कोशिशें हो रही हैं. उन्होंने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ये स्पष्ट कर दिया था कि सरकार की आलोचना दंड का आधार नहीं हो सकती.
सोनिया ने लिखा है कि चुप्पी थोपने से भारत की समस्याओं का हल नहीं होगा. उन्होंने लिखा है, “प्रधानमंत्री लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले अपनी सरकार के एक्शन पर उठते जायज़ सवालों पर चुप हैं. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बेरोज़गारी या महंगाई का ज़िक्र नहीं किया. ऐसा लगता है कि जैसे ये समस्याएं हैं ही नहीं.”