उद्धव ठाकरे को चुनाव आयोग से तगड़ा झटका! एकनाथ शिंदे खेमे के हाथ असली शिवसेना की कमान, चुनाव चिह्न ‘तीर-धनुष’ भी मिला पढ़िए खबर विस्तार से

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चुनाव आयोग (EC) ने अपने फैसले में कहा कि शिवसेना का 2018 में संशोधित किया गया संविधान आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। EC ने कहा कि साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 जीते हुए उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी वोट पड़े थे

जब शिवसेना का गठन हुआ था, उस समय यह मराठी पार्टी मानी जाती थी और मराठी मानुष के लिए लड़ती थी।

पहली बार ठाकरे परिवार के हाथ से फिसली शिवसेना, बाला साहेब ने की थी स्थापना, अब एकनाथ शिंदे ’ के हाथ में आई कमान

चुनाव आयोग (Election Commission) ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को शिवसेना की कमान सौंप दी है। इसके साथ ही चुनाव चिन्ह तीर धनुष भी एकनाथ शिंदे को मिल गया है। यह उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए बड़ा झटका है। शिवसेना की स्थापना बाला साहब ठाकरे (Bala Saheb Thackeray) ने की थी। बालासाहेब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना की स्थापना की थी और 1968 में उन्होंने शिवसेना को एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करवाया था।

1971 के लोकसभा चुनाव (Loksabha election) में पहली बार शिवसेना ने चुनाव लड़ा था। लेकिन सभी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था। 1971 से लेकर 1984 तक जितने भी चुनाव हुए, शिवसेना को कई प्रकार के चुनाव चिन्ह मिले। 1985 के मुंबई के नगर निकाय चुनाव में शिवसेना को पहली बार तीर धनुष का चुनाव चिन्ह मिला था। उसके बाद से ही चुनाव में शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर धनुष हो गया।

जब शिवसेना का गठन हुआ था, उस समय यह मराठी पार्टी मानी जाती थी और मराठी मानुष के लिए लड़ती थी। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे पार्टी ने अपनी छवि को कट्टर हिन्दूवादी बना लिया। 23 जनवरी 1988 को बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के मराठी संस्करण की शुरुआत की थी।

बीजेपी और शिवसेना (BJP and Shivsena) दोनों दलों के नेताओं के बीच एक दूसरे पर तीखी बयानबाजी होती रही। 2019 के लोकसभा चुनाव में एक समय ऐसा लगा कि दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं होगा, लेकिन गठबंधन हुआ और पार्टी को सफलता मिली। इसके बाद 2019 में विधानसभा चुनाव हुए। बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ चुनाव लड़ा। चुनाव में बीजेपी को 105 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि शिवसेना को महज 56 सीटें प्राप्त हुई।

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