मुंबई : 6th Schedule for Ladakh: लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज हो गई है। लगातार चल रहे आंदोलन के बीच सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchu) ने एक वीडियो जारी कर केंद्र सरकार से इसे लागू करने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग असमंजस में है कि सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बावजूद अभी तक छठी अनुसूची को क्यों शामिल नहीं किया गया? उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस मुद्दे के जल्द समाधान की मांग की है। साथ ही ऐलान किया है कि वो 26 जनवरी से 5 दिन के अनशन पर बैठने जा रहे हैं वो भी -40 डिग्री तापमान के बीच। उन्होंने कहा है कि अगर बच गए तो फिर मिलेंगे नहीं तो अलविदा…
सोनम वांगचुक ने अपने वीडियो में कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से लद्दाख दुनिया में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लद्दाख और हिमालय, उत्तरी और दक्षिणी ध्रूव के बाद दुनिया का तीसरा ध्रुव भी माना जाता है, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने के तीन साल बाद भी लद्दाख की हालत अच्छी नहीं है।
यहां के लोगों को विश्वास था कि सरकार उन्हें संरक्षण देगी और सरकार ने शुरु-शुरू में यह आश्वासन भी दिया। गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय या फिर जनजातीय मंत्रालय, हर जगह से खबरें आईं कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन महीने बीत जाने के बाद भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई।
उन्होंने आगे बताया कि इस मामले को लेकर साल 2019 में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोनम वांगचुक को पत्र लिखकर भरोसा दिलाया था कि लद्दाख की विरासत को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
साल 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था, लेकिन लद्दाख में विधानसभा के गठन का प्रावधान नहीं किया गया। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के पहले लद्दाख से 4 विधायक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन 2019 से लद्दाख का प्रशासन नौकरशाहों के हाथों में ही रहा है।