पाकिस्तान में आर्थिक संकट इस क़दर गहरा गया है कि आटे के लिए सड़कों पर लोग आपस में लड़ रहे हैं.
पाकिस्तान का ख़ज़ाना ख़ाली है और वहाँ की सरकार किसी तरह से मुल्क को डिफ़ॉल्टर होने से बचाने में लगी है.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने अपने वित्तीय संस्थानों को आदेश दिया है कि पाकिस्तान में निवेश और क़र्ज़ बढ़ाने के लिए अध्ययन करें.
सऊदी अरब की गिनती दुनिया के अमीर देशों में है, लेकिन वह बार-बार एक ग़रीब और तंगहाल मुल्क पाकिस्तान की मदद के लिए क्यों सामने आता है?
1998 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के ठीक बाद सऊदी अरब के तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रिंस सुल्तान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल साऊद इस्लामाबाद पहुँचे थे.
वह पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर गए थे. तब अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे और इस दौरे से उनके कान खड़े हो गए थे.
वह पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर गए थे. तब अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे और इस दौरे से उनके कान खड़े हो गए थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स से क्लिंटन प्रशासन के सीनियर अधिकारी ने तब कहा था कि यह दौरा परेशान करने वाला है.
यह पहली बार था कि शीर्ष गोपनीय ठिकाने पर एक विदेशी को पाकिस्तान लेकर गया था.
तब अमेरिका को भी स्पष्ट नहीं था कि सऊदी के मंत्री पाकिस्तान के कहूटा में यूरेनियम संवर्द्धन केंद्र और ग़ोरी मिसाइल के ठिकाने पर क्यों गए थे.
न सऊदी अरब ने इसका मक़सद बताया था और न ही पाकिस्तान ने.