Medicine QR Code : दवा कंपनियों (Drug Company) की मनमानी जल्द खत्म होगी, क्योंकि हर मेडिसिन पर अब आधार कार्ड (Aadhar Card) नंबर होगा. दवाओं की क्वालिटी परखना, उसकी एक्सपायरी डेट जानना या उसके बनने से लेकर डिस्ट्रीब्यूटर तक का पूरा ब्योरा अब आम आदमी भी आसानी से जान सकेगा. दवाओं के पैकेट पर आधार कार्ड जैसा नंबर होगा, जो सारी डिटेल देगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जल्द ही सर्दी खांसी जुकाम से लेकर डायबिटीज, कैंसर तक की दवाओं पर अनिवार्य बार कोड (mandatory bar code) आपको दिखाई देगा.
इसमें दवा की पहचान, उसका जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, निर्माता कंपनी, बैच नंबर, दवा उत्पादन की तिथि, एक्सपायरी डेट और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का लाइसेंस नंबर तक बार कोड के जरिये पता चल सकेगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तैयारी है कि हर दवा के पैकेट पर एक यूनीक क्यूआर कोड हो, जिसमें मेडिसिन की पहचान से लेकर उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री होगी.
दरअसल, दवाओं को लेकर लंबे समय से ये समस्या सामने आ रही थी कि केमिस्ट दवाओं को ऐसे काटकर ग्राहकों को देते हैं कि उसकी एक्सपायरी डेट, मैन्युफैक्चरिंग जैसी कोई भी चीज पढ़ी न जा सके. सा ही दवाओं पर ब्रांड, जेनरिक नाम आदि चीजें इतनी छोटे अक्षरों में लिखी होती हैं कि उसको कोई भी पढ़ नहीं सकता. आम जनता को ये पता ही नहीं लगता कि ये दवा किस ब्रांड की है, कंपनी विश्वसनीय है या नहीं. खासकर जेनरिक दवाओं में तो तमाम घटिया दवा कंपनियां ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़ करती पाई जाती हैं. लिहाजा ये कदम दवाओं की गुणवत्ता तय करने के लिहाज से बड़ा क्रांतिकारी साबित हो सकता है.
ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (DCGI) या ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (CDSCO)की ओर से ये कवायद लंबे वक्त से की जा रही थी. नए नियमों से दवा की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सेलिंग तक पूरी सप्लाई चेन की जानकारी ग्राहकों को मिलेगी. यह नियम 1 अगस्त 2023 से लागू होगा और दवा के आधार कार्ड की तरह होगा, जहां से पूरी जानकारी मिल सकती है.