मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की कहानी

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कहा जाता है कि जब डेविड हेडली ने पहली बार सितंबर, 2006 में ताज होटल में प्रवेश किया तो वहाँ की समृद्धि और वहाँ काम करने वाले लोगों के व्यवहार को देखकर महसूस किया कि इस शानदार जगह को तबाह करना आसान नहीं होगा.

टॉवर लॉबी में ‘फ़्रांजेपानी’ की मादक महक और सी लाउंज की खिड़कियों से गेटवे ऑफ़ इंडिया के दृश्य ने उसे करीब-करीब विश्वास दिला दिया कि इस होटल को नष्ट करने के बारे में सोचना ग़लत है.

मुंबई की अपना पहली यात्रा के दौरान हेडली के पास ताज में रुकने लायक पैसे नहीं थे.

वहाँ से साढ़े चार मील दूर भूलाभाई रोड पर अपना ठिकाना कायम करने के बाद हेडली करीब-करीब रोज़ ताज होटल जाता था.

वहाँ के वेटरों, मैनेजरों और मेहमानों ने उसे अक्सर हार्बर बार में फ़्रेंच शैम्पेन का ग्लास हाथ में लिए देखा. हेडली की कोई अनदेखी नहीं कर सकता था.

एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट क्लार्क मुंबई हमलों पर अपनी किताब ‘द सीज, द अटैक ऑन द ताज’ में लिखते हैं, “हेडली 6 फ़ीट 2 इंच लंबा था. उसके लंबे सुनहरे बाल पोनी टेल में बँधे रहते थे. वो अक्सर मुड़ी-तुड़ी अरमानी जींस और कमीज़ में नज़र आता था और उसके कंधों से एक चमड़े की जैकेट लटकती रहती थी.”

“उसकी कलाई में करीब 9 लाख रुपए की रोलेक्स घड़ी बँधी रहती थी. मुंबई में वो डेविड के नाम से मशहूर था लेकिन अपनी बहन शेरी, सौतेले भाइयों हमज़ा और दानियाल, पत्नियों पोर्शिया, शाज़िया और फ़ैज़ा और सबसे अच्छे दोस्त तहव्वुर राना के लिए वो पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी था जिसका असली नाम था दाऊद सलीम जिलानी.”

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