दशहरा रैली से पहले उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. आदित्य ठाकरे के विधानसभा क्षेत्र वर्ली में 3-4 हजार शिवसैनिकों ने ठाकरे गुट का साथ छोड़ दिया है और वो शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं. आदित्य ठाकरे, अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं, जो चुनावी राजनीति में आए थे.
दशहरा रैली से पहले उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. आदित्य ठाकरे के विधानसभा क्षेत्र वर्ली में 3-4 हजार शिवसैनिकों ने ठाकरे गुट का साथ छोड़ दिया है और वो शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं. आदित्य ठाकरे, अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं, जो चुनावी राजनीति में आए थे. उन्होंने मुंबई की वर्ली सीट पर 65 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी.
एकनाथ शिंदे ने आदित्य ठाकरे के गढ़ में उन्हें कमजोर करने की कोशिश की है. दरअसल आदित्य ठाकरे लगातार एकनाथ शिंदे पर हमलावर रहते हैं. उन्होंने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को “धोखेबाजों की सरकार” बताया था. इसके साथ ही आदित्य ठाकरे ने सतारा जिले के पाटन में एक रैली में दावा किया कि ये सरकार जल्द ही गिर जाएगी.
क्रांति के लिए चाहिए साहस: आदित्य
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा, “महाराष्ट्र में 20 जून से विश्वासघात सामने आ रहा है. यह धोखेबाजों की सरकार है, यह एक अनधिकृत, असंवैधानिक सरकार है और यह गिर जाएगी.” उन्होंने शिंदे गुट के इस दावे का मजाक उड़ाया कि शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ उनके विद्रोह ने 33 देशों में सुर्खियां बटोरीं. पूर्व मंत्री ने कहा, “क्रांति और विद्रोह करने के लिए साहस चाहिए, लेकिन इन लोगों के पास वह नहीं है.”
बीजेपी के साथ मिलकर शिंदे ने बना ली सरकार
एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 26 बागी विधायकों के साथ विद्रोह कर दिया था, जिसके बाद विधायकों की संख्या बढ़कर करीब 40 पहुंच गई और बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली. इस सरकार में शिंदे सीएम और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने. वहीं दूसरी ओर लोकसभा में शिवसेना के करीब एक दर्जन सांसद शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं. अब उद्धव और शिंदे गुट की लड़ाई पार्टी पर आ गई है, दोनों गुटों ने इसको लेकर चुनाव आयोग में दावा किया है, हालांकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पेंडिंग है.