कई चैनलों, पत्रकारों और भाजपा नेताओं का दावा है कि एनआईए, ईडी और पुलिस की संयुक्त छापेमारी में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( Popular Front of India )के सौ से अधिक नेताओं की गिरफ़्तारी के विरोध में पुणे में हुए एक प्रदर्शन में ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए गए थे. हालांकि पड़ताल में पाया गया कि यह दावा ग़लत है
राज्यों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से की गई छापेमारी में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 100 से अधिक नेताओं को गिरफ्तार किया गया था. छापेमारी के बाद 23 सितंबर को पीएफआई के समर्थकों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया था.
हालांकि, पीएफआई द्वारा पुणे में किया गया प्रदर्शन विवाद का केंद्र बन गया क्योंकि कई मीडिया संगठनों और कई सत्यापित ट्विटर हैंडल द्वारा दावा किया गया कि प्रदर्शनकारियों ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए थे. पुणे में प्रदर्शन के दौरान पीएफआई कार्यकर्ताओं को एक पुलिस वैन में धकेलते हुए दिखाया गया एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे नारे लगाते नजर आ रहे हैं.
कई यूजर्स ने दावा किया है कि वीडियो में प्रदर्शनकारियों को ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है. पुणे में कथित तौर पर 40 पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था.
मीडिया रिपोर्ट्स
24 सितंबर 2022 को एएनआई ने ट्वीट किया कि कल पुणे शहर में जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे सुने गए, जहां पीएफआई के कार्यकर्ता अपने संगठन के खिलाफ ईडी-सीबीआई-पुलिस के छापों का विरोध करने के लिए एकत्र हुए थे. कुछ प्रदर्शनकारियों को अगली सुबह हिरासत में लिया गया था.
एएनआई ने आगे कहा कि हालांकि ऑडियो अस्पष्ट है, लेकिन मौके पर मौजूद पत्रकारों ने ‘पुष्टि’ की.
सूत्रों के हवाले से बताया है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबद’ के नारे नहीं लगे थे.
एक क्षेत्रीय चैनल दिव्य भारती ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबद’ के नारे नहीं लगे थे.रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पुणे पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने से इनकार किया है. इसी तरह, पुणे डीसीपी सागर पाटिल ने भी कहा है कि पीएफआई की रैली में ऐसे कोई भी नारे नहीं लगाए गए.