हाईकोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक ईडी के किसी भी कदम पर रोक रहेगी और धन के निपटारे के लिए तीसरे पक्ष को भी अधिकार नहीं दिया जा सकेगा. अब मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी.
नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ कथित धन शोधन की जांच के मामले में उनके धन की अस्थायी जब्ती को लेकर आगे कोई कार्रवाई करने से रोक दिया. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अस्थायी जब्ती के खिलाफ अय्यूब की याचिका पर जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया और छह सप्ताह के भीतर उससे जवाब मांगा. अदालत ने इस बीच अय्यूब को कुछ बैंक खातों में जमा धन के संबंध में तीसरे पक्ष को अधिकार देने या इसका निपटारा करने से भी रोक दिया.
पीठ ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादी (ईडी) के धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 8 (न्यायिक निर्णय) के तहत किसी कदम पर रोक रहेगी. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा किसी तीसरे पक्ष को अधिकार देने या इसके (धन के) निपटारे पर रोक रहेगी. अय्यूब की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि फरवरी 2022 का अस्थायी जब्ती आदेश समाप्त हो गया है और 180 दिनों की समाप्ति पर इसका वजूद खत्म हो गया है. इसलिए, निर्णायक प्राधिकार अब पुष्टि का आदेश पारित नहीं कर सकता है.
अपनी याचिका में, पत्रकार ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत, उन्हें संवैधानिक अधिकार है कि वह कानून के अधिकार के अलावा अपनी संपत्ति से वंचित न हो और 180 दिनों की वैधानिक रूप से अधिकृत अवधि से परे उनकी संपत्ति की निरंतर जब्ती मनमाना, अधिकार क्षेत्र से परे और कानून के अधिकार के बिना है.
ईडी ने धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत नवी मुंबई में एक निजी बैंक के दो खातों में रखे अय्यूब के 1.77 करोड़ रुपये से अधिक के धन को जब्त किया है. ईडी ने गाजियाबाद पुलिस (उत्तर प्रदेश) की सितंबर 2021 की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद अय्यूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. यह मामला दाताओं के जरिए ‘केटो’ के माध्यम से जुटाए गए 2.69 करोड़ रुपये से अधिक के धन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है.
एजेंसी ने कहा है कि उसकी जांच यह स्पष्ट करती है कि धन पूरी तरह से पूर्व नियोजित और व्यवस्थित तरीके से दान के नाम पर इकट्ठा किया गया और धन का पूरी तरह से उस उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया गया जिसके लिए इसे जुटाया गया था. अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 17 नवंबर को सूचीबद्ध किया.