जिग्नेश मेवाणी मामले में कोर्ट ने असम पुलिस को जमकर लताड़ा

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कोर्ट ने कहा, “FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) के विपरीत, महिला कॉन्स्टेबल ने विद्वान मजिस्ट्रेट के सामने एक अलग कहानी बताई है,

महिला की गवाही को देखते हुए ऐसा लगता है कि आरोपी जिग्नेश मेवाणी को लंबी अवधि के लिए हिरासत में रखने के उद्देश्य से तत्काल मामला बनाया गया है. यह अदालत की प्रक्रिया और कानून का दुरुपयोग है.”

गुवाहाटी: असम की एक अदालत ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को एक महिला कांस्टेबल पर कथित हमले के “निर्मित मामले” (“manufactured case”) में फंसाने की कोशिश करने के लिए राज्य पुलिस की कड़ी आलोचना की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट के मामले में असम की एक अन्य अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के तुरंत बाद 25 अप्रैल को असम पुलिस ने एक “निर्मित” हमले के मामले में जिग्नेश को गिरफ्तार कर लिया था. उस मामले में असम के बारपेटा की अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए शुक्रवार (29 अप्रैल) को यह टिप्पणी की.

इतना ही नहीं, बारपेटा सेशन कोर्ट ने मेवाणी को जमानत देने के अपने आदेश में गुवाहाटी हाईकोर्ट से राज्य में हाल के दिनों में पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने का भी अनुरोध किया है.

सत्र अदालत ने गुवाहाटी हाईकोर्ट से यह भी आग्रह किया है कि वह असम पुलिस को बॉडी कैमरा पहनने और अपने वाहनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दे ताकि किसी आरोपी को हिरासत में लिए जाने पर घटनाओं के क्रम को रिकॉर्ड किया जा सके.

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सत्र न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपरेश चक्रवर्ती ने अपने आदेश में कहा, “हमारे मेहनत से अर्जित लोकतंत्र को पुलिस राज्य में बदलना अकल्पनीय है.” अदालत ने कहा, “अगर तत्काल मामले को सच मान लिया जाता है और मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज महिला के बयान के मद्देनजर जो नहीं है, तो हमें देश के आपराधिक न्यायशास्त्र को फिर से लिखना होगा.”

कोर्ट ने कहा, “FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) के विपरीत, महिला कॉन्स्टेबल ने विद्वान मजिस्ट्रेट के सामने एक अलग कहानी बताई है, महिला की गवाही को देखते हुए ऐसा लगता है कि आरोपी जिग्नेश मेवाणी को लंबी अवधि के लिए हिरासत में रखने के उद्देश्य से तत्काल मामला बनाया गया है. यह अदालत की प्रक्रिया और कानून का दुरुपयोग है.”

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असम में भाजपा सत्ताधारी पार्टी है. मेवाणी ने आरोप लगाया है कि पीएम मोदी के खिलाफ ट्वीट्स पर उनकी गिरफ्तारी और महिला कांस्टेबल पर बाद में कथित हमले के पीछे भाजपा का ही हाथ है, जिसे अदालत ने अब “निर्मित मामला” करार दिया है. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ने ‘एक महिला का इस्तेमाल कर’ उनके खिलाफ “मामला” दर्ज करके ‘कायरतापूर्ण काम’ किया है.

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