अनुपम खेर हुए सोशल मीडिया पर बुरी तरीके से ट्रोल

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अनुपम खेर (Anupam Kher) इन दिनों अपनी नई फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) के लिए चर्चाओं में हैं. इस फिल्म को मौजूदा सरकार द्वारा समर्थन मिल रहा है और कई राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार है, वहां इसे टैक्स फ्री किया गया है. इस फिल्म के माध्यम से एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों के नाम पर युवा वर्ग को एक धर्म विशेष के खिलाफ करने की कोशिश हो रही है.

इस फिल्म के रिलीज होने के बाद एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों का मुद्दा छाया हुआ है. कश्मीरी पंडितों के नाम पर एक बार फिर से मौजूदा सरकार का महिमामंडन किया जा रहा है और कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. इस फिल्म का नाम लेकर लोग कांग्रेस से सवाल कर रहे हैं.

लेकिन सवाल करने वाला युवा वर्ग है. और उस युवा वर्ग को यह पता ही नहीं है कि जिस समय कश्मीरी पंडितों के खिलाफ अत्याचार हुआ उस समय केंद्र में कांग्रेस की नहीं बल्कि बीजेपी के समर्थन से चल रही वीपी सिंह की सरकार थी और जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था. बीजेपी के नेता जगमोहन उस समय जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे.

इस फिल्म में अनुपम खेर मुख्य भूमिका में हैं उन्होंने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि, लोगों का प्यार, कश्मीरी हिंदुओं के आंसू, विवेक अग्निहोत्री का धैर्य/साहस, द कश्मीर फाइल्स पूरी टीम की मेहनत और सबसे ऊपर बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद. सच की जीत कभी ना कभी तो होनी थी. 32 साल बाद ही सही.

अनुपम खेर को इस ट्वीट के बाद यूजर्स ने खूब खरी-खोटी सुनाई. मनोज कुमार शुक्ला ने अनुपम खेर के ट्वीट पर जवाब दिया कि, TheKashmirFiles विद्रोह तब हुआ, जब केंद्र में BJP समर्थित सरकार में वीपी सिंह पीएम थे. तब कश्मीर मे राज्यपाल शासन था और भाजपा नेता जगमोहन राज्यपाल थे. पर सनद रहे इस दौर में कांग्रेस विपक्ष में थी अभी भी पुनर्स्थापित होने की राह देख रहे है जबकि सत्ता मे 6+7 साल रह चुके है.

बाबा महाकाल नामक टि्वटर यूजर ने अनुपम खेर के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा कि, द काश्मीर फाइल्स. जिस दिन जम्मू कश्मीर से 4 लाख से अधिक हिन्दुओं को भगाया गया वह तारीख थी 19 जनवरी 1990. उस समय केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह की जन संघ आज की भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों की मदद वाली गठबंधन की सरकार थी और ये बेईमान लोग अपनी नाकामी को दूसरे के माथे मड़ रहे.

रणवीर सिंह नामक टि्वटर यूजर ने अनुपम खेर के ट्वीट पर लिखा कि, इसमें बताया नहीं की सरकार किसकी थी उसे समर्थन किसका था, राष्ट्रपति शासन में उधर का राज्यपाल कौन था? उसके बाद कितनी बार भाजपा सरकार आई? पूरी मजबूती के साथ आई क्या किया कश्मीरी पंडितों के लिए? अरे इंसानियत को खत्म करने की सोच रखने वालों इंसान के नाम पर कलंक हो. ईश्वर के नाम पर.

आपको बता दें कि इस फिल्म को बनाने वाले अधिकतर लोग मौजूदा सत्ता के समर्थक हैं और एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों के नाम पर जन भावनाओं को उकेरने की कोशिश की जा रही है. सच्चाई से दूर सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं के नाम पर एक बार फिर से नफरत का बीज बोने की कोशिश की जा रही है. अगर सच में कश्मीरी पंडितों का दर्द दिखाया गया होता तो उस वक्त की सत्ता और उसमें शामिल लोगों की असलियत भी सामने लाई गई होती.

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