भारत की अर्थव्यवस्था को ठिकाने लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम विश्व आर्थिक मंच (WEF) के नेताओं को व्याख्यान देंगे।

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कल यानी रविवार को उसी ऑक्सफेम की रिपोर्ट भी आई, जिसका FCRA मोदी सरकार ने खुन्नस में रद्द कर दिया है और रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि 2021 में देश की 84% जनता की आय घटी है।
2021 में ही भारत में अरबपतियों की संख्या 102 से 142 हो गई है। 2020-21 में जब देश कोविड की पहली और दूसरी लहर से जूझ रहा था तो मोदी सरकार ने स्वास्थ्य का बजट 10% (संशोधित अनुमान से) घटा दिया।
शिक्षा बजट 6% घटा और सामाजिक सुरक्षा के बजट का हिस्सा कुल बजट के मुकाबले 1.5% से घटाकर 0.6% कर दिया गया।
ऑक्सफेम ने भारत के बारे में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 100 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति जहां 57 लाख करोड़ से ज़्यादा है, वहीं सबसे नीचे के 50% लोगों के हिस्से में संपत्ति का सिर्फ़ 6% हिस्सा ही बचा है।
कोविड महामारी के दौर में जहां मोदी की मेहरबानी से अमीरों की दौलत 23 लाख करोड़ बढ़ गई, वहीं भारत ने दुनिया को 5 करोड़ नए ग़रीब, भूखे लोग दिए।
आज मोदी राज के हालात यह हैं कि इस असमानता के चलते रोजाना 21000 लोगों की जान जा रही है, यानी हर 4 सेकंड में एक व्यक्ति ग़रीबी जनित कारणों से मर रहा है।
नरेंद्र मोदी बड़े गर्व से यह कह सकते हैं कि ये लोग उनके लिए नहीं मर रहे हैं।
अलबत्ता, वे यह भी नहीं कह सकते कि ये लोग उनके कारण भी नहीं मर रहे हैं।
इन हालात में मोदी के पास भाषण देने के लिए सिर्फ मुंह ही बचता है।

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