अपने को बड़ा दिखाने के लिए हर भाषण में देश को छोटा दिखाना पड़ता है।

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जो देश वैक्सीन प्रोडक्शन में पहले से अग्रणी है, उसके लिए कहा जा रहा है कि ‘वैक्सीन प्रोडक्शन बहुत बड़ी चुनौती’ थी। क्या कमाल है कि इनके पहले देश में कुछ हुआ ही नहीं! इनके पहले 130 करोड़ लोग हवा पीकर जी रहे थे। कह रहे हैं कि भारत का वैक्सिनेशन कार्यक्रम वैज्ञानिक है, विज्ञान के आधार पर है। तो क्या बाकी देशों ने झाड़फूंक कार्यक्रम चलाया है? पूरा भाषण ऐसे ही फालतू जुमलों से भरा हुआ है। इतनी ऊंची कुर्सी पर बैठकर इतना निरर्थक/अनर्थकारी और हास्यास्पद भाषण कौन देता है? “राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री का संबोधन” इतनी हल्की चीज नहीं है। इसे थोड़ा सार्थक, गंभीर और गरिमापूर्ण रखना चाहिए।

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