गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शनिवार को अचानक पद से इस्तीफा दे दिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य में चुनाव से एक साल पहले चेहरा बदलने जा रही है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी की काट के लिए चेहरा बदल दिया है। हाल ही में उत्तराखंड और कर्नाटक में भी बीजेपी ने यह फॉर्मूला अपनाया है। पिछले 6 महीने में बीजेपी ने 4 मुख्यमंत्री बदल दिए हैं। राजनीतिक जानकार इसके पीछे की वजहें तलाशने में जुटे हैं। हालांकि, चुनावी नतीजे यह तय करेंगे कि बीजेपी की रणनीति कितनी कामयाब है।
रूपाणी से पहले कर्नाटक में जुलाई में बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी। बीएस येदियुरप्पा से पार्टी के कई नेता नाराज चल रहे थे। लिंगायत समुदाय के बड़े नेता और दक्षिण में पहली बार कमल खिलाने वाले येदियुरप्पा की जगह अब उनके ही करीबी नेता बीएस बोम्मई को कुर्सी सौंपी गई है।
उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत को हटा दिया गया, जबकि मार्च में ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर उन्हें सीएम बनाया गया था। गुजरात और उत्तराखंड में अगले साल चुनाव होने जा रहा है। उत्तराखंड में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ नाराजगी को लेकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन वह अधिक दिन तक कुर्सी नहीं संभाल पाए। अब वहां पुष्कर सिंह धामी को जिम्मेदारी दी गई है। उत्तराखंड के बीजेपी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से तीरथ के खिलाफ शिकायत की थी। कई विवादित बयानों की वजह से वह मीडिया की सुर्खियों में रहे और सरकार की छवि खराब होते देख बीजेपी ने उनकी छुट्टी कर दी।
उधर, असम को भी बीजेपी ने हाल ही में नया नेतृत्व दिया है। असम में सर्बानंद सोनेवाल पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे और पार्टी यहां दोबारा सत्ता में लौटने में कामयाब रही। चुनाव के बाद बीजेपी ने हिमंत बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाया। सरमा ने नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी की जड़ें मजबूत की हैं। कांग्रेस से बीजेपी में आने वाले सरमा को पर भरोसा जताकर बीजेपी ने कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों के उन नेताओं को संदेश देने की कोशिश की है, जो भगवा दल में शामिल होना चाहते हैं।